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Global Market : US फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, 2024 में 3 कटौती का जताया अनुमान

US Fed Policy Meet अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। फेड रिजर्व ने अपनी पॉलिसी समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया है। हालांकि उन्होंने 2024 के अंत तक में 3 कटौती का अनुमान जताया है। फेड ने ब्याज दरों को 5.25 से 5.50 फीसदी पर स्थिर रखा है। इस रिपोर्ट में विस्तार से जानें।

By Agency Edited By: Priyanka Kumari Thu, 21 Mar 2024 09:32 AM (IST)
Global Market : US फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, 2024 में 3 कटौती का जताया अनुमान
US फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव

रॉयटर्स, नई दिल्ली। अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की दो दिवसीय फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक हुई थी। इस बैठक में ब्याज दरों को लेकर कई फैसले लिये गए हैं।

फेड रिजर्व ने बताया कि उन्होंने सर्वसम्मति के साथ बेंचमार्क ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इसका मतलब है कि ब्याज दर 5.25 से 5.50 फीसदी पर स्थिर रहेगी।

बता दें कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने जुलाई से प्रमुख ब्याज दरों को 23 वर्ष के उच्चतम स्थिर पर बनाए रखा है। हालांकि फेड मे उम्मीद जताई है कि 2024 के अंत में ब्याज दरों में 3 कटौती की जा सकती है।

फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल (Federal Reserve Chair Jerome Powell) ने कहा कि हालिया महंगाई दर की वजह से ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक साल के अंत में तीन ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अमेरिका में आर्थिक विकास जारी रहेगा।

फेड ने नए त्रैमासिक आर्थिक अनुमान जारी किये हैं। इन अनुमान को लेकर कई अधिकारियों ने अनुमान जताया है कि इस वर्ष इकोनॉमी में 2.1 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। वहीं 2024 के अंत में बेरोजगारी दर भी 4 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।

जेरोम पॉवेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है पर हम उसे 2 फीसदी तक लाने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में बेरोजगारी दर को भी कम करने के लिए फेड द्वारा कदम उठाए जा सकते हैं।

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23 वर्ष के उच्चतम स्तर पर ब्याज दरें

यूएस फेड (US Fed) ने ब्याज दरों को 22 साल के उच्चतम स्तर पर बनाए रखा है। हालांकि उन्होंने संकेत दिया है कि देश की आर्थिक गतिविधियां सही दिशा में बढ़ रही है। इसके अलावा महंगाई से भी लोगों को एक हद तक राहत मिली है।

बता दें कि अगर अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी करता है तो इंटरेस्ट रेट भी बढ़ जाता है। इंटरेस्ट रेट के बढ़ जाने से महंगाई में तेजी आती है। जिसके बाद इकोनॉमी और बैंकों पर दबाव पड़ जाता है और आर्थिक गतिविधियां धीमी हो जाती है।

इंटरेस्ट रेट में जैसे ही तेजी आती है तो डॉलर के मूल्य में भी बढ़त देखने को मिलती है। इसका असर भारतीय करेंसी पर पड़ता है। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो जाता है। रुपये के मूल्य में गिरावट आने के बाद निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालने लग जाते हैं जिसके बाद घरेलू बाजार में गिरावट आती है।

भारतीय करेंसी के कमजोर हो जाने के बाद आयात भी महंगा हो जाता है और रुपये के कमजोर हो जाने पर विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली भी शुरू हो जाती है।

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