अमेरिका और ईयू के बीच आपसी ट्रेड पर नई सहमति, जानिए इस समझौते में भारत के लिए क्या
US-EU trade deal डोनाल्ड ट्रंप के ईयू के साथ व्यापार समझौते की घोषणा के बाद एक महीने से भी कम समय में दोनों पक्ष आपसी व्यापार की विस्तृत रूपरेखा पर सहमत हुए हैं। ईयू अमेरिका से औद्योगिक वस्तुओं और कई कृषि उत्पादों के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगाएगा। बदले में अमेरिका भी टैरिफ कम करने पर सहमत हुआ है।

अमेरिका और यूरोपियन यूनियन आपसी व्यापार के लिए एक विस्तृत रूपरेखा (US-EU tariff deal) पर सहमत हुए हैं। दोनों ने एक साझा बयान में इसकी जानकारी दी है। अमेरिका और ईयू दुनिया की 44 प्रतिशत इकोनॉमी का प्रतिनिधित्व करते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 जुलाई 2025 को ईयू के साथ व्यापार समझौते की घोषणा की थी। गुरुवार के समझौते से दोनों के बीच पूर्ण संधि की दिशा में बातचीत का मार्ग खुला है।
क्या है अमेरिका और ईयू का समझौता
साझा बयान में इस समझौते को Framework Agreement कहा गया है। इसके मुताबिक यूरोपियन यूनियन सभी अमेरिकी औद्योगिक वस्तुओं और कई कृषि एवं समुद्री खाद्य उत्पादों, जैसे मेवे, डेयरी, फल, सब्जियां, प्रोसेस्ड फूड, सोयाबीन तेल और पोर्क पर आयात शुल्क खत्म कर देगा।
इसके बदले में यूरोपियन यूनियन के उत्पादों पर अमेरिका या तो सामान्य एमएफएन (MFN) दर या 15 प्रतिशत, दोनों में जो भी अधिक हो, शुल्क लगाएगा। अमेरिका 1 सितंबर 2025 से यूरोपियन यूनियन के विमान और उसके पुर्जों और जेनेरिक दवाओं सहित कुछ वस्तुओं पर केवल एमएफएन टैरिफ लागू करेगा। यूरोपियन यूनियन में टैरिफ कटौती पर कानून लाए जाने के बाद अमेरिका अपने ऑटोमोबाइल टैरिफ को भी घटाकर 15 प्रतिशत कर देगा। अभी यह 27.5 प्रतिशत है।
अमेरिका से क्रूड खरीद बढ़ाएंगे यूरोपीय देश
इस समझौते में प्रमुख वाणिज्यिक प्रतिबद्धताएं भी सुनिश्चित की गई हैं। यूरोपियन यूनियन वर्ष 2028 तक 750 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी एलएनजी, कच्चा तेल और परमाणु ऊर्जा उत्पाद खरीदेगा। वह यूरोपीय कंप्यूटिंग केंद्रों के लिए कम से कम 40 अरब डॉलर के अमेरिकी एआई चिप्स भी खरीदेगा। यूरोपीय कंपनियों ने इसी अवधि में अमेरिका के रणनीतिक क्षेत्रों (Strategic trade positioning) में 600 अरब डॉलर के नए निवेश का वादा किया है। इसके साथ ही यूरोपियन यूनियन अमेरिकी रक्षा और सैन्य उपकरणों की खरीद में वृद्धि करेगा।
यह फ्रेमवर्क समझौता कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) और कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी रूल्स जैसे यूरोपीय रेगुलेटरी ढांचों पर अमेरिका को रियायतें भी देता है। ईयू CBAM के तहत अमेरिका के छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SME) को कार्बन टैक्स में रियायत देने पर सहमत हुआ है। यूरोपियन यूनियन 1 जनवरी 2026 से यह टैक्स बाकी देशों से आयात पर लगाएगा।
इसी प्रकार ब्रुसेल्स कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी ड्यू डिलिजेंस एंड रिपोर्टिंग डायरेक्टिव्स (CSDDD and CSRD) के तहत अनुपालन को आसान बनाने पर सहमत हुआ है। इसका अनुपालन जुलाई 2027 से होना है। ईयू उन अमेरिकी फर्मों के लिए छूट पर भी विचार करेगा जो पहले ही अपने देश में उच्च-मानक नियमों के अधीन हैं।
समझौते में भारत के लिए क्या
Trade impact on India: थिंकटैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, भारत यूरोपियन यूनियन के साथ अपने मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत के अंतिम चरण में है। भारत के लिए यह घटनाक्रम स्पष्ट सबक है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को भी सीबीएएम और स्थिरता नियमों में इसी तरह की छूट और लचीलेपन की मांग करनी चाहिए, खासकर भारतीय एसएमई और निर्यातकों को असंगत खर्च से बचाने के लिए। इसके बिना भारतीय निर्यातकों को भारी अनुपालन खर्च का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी तरफ अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों को इन पर रियायतें मिलेंगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।