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    रूस और ईरान से तेल खरीद अमेरिका-चीन समझौते में बड़ी बाधा

    अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते में रूस और ईरान से तेल खरीदना एक बड़ी बाधा है। चीन ने अमेरिका की रूस और ईरान से तेल खरीद बंद करने की मांग को अस्वीकार कर दिया है। चीन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार ही तेल खरीदेगा। अमेरिका ने चीन पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है।

    By Ashish Kushwaha Edited By: Ashish Kushwaha Updated: Mon, 04 Aug 2025 08:53 PM (IST)
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    रूस और ईरान से तेल खरीद अमेरिका-चीन समझौते में बड़ी बाधा

    नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच यूं तो कई मुद्दों पर व्यापक मतभेद हैं। मगर, दोनों देशों के अधिकारी मतभेदों को सुलझाकर एक व्यापार समझौते पर पहुंच सकते हैं और दंडात्मक शुल्कों से बच सकते हैं। लेकिन, दोनों के बीच समझौते में बड़ी बाधा रूस और ईरान से तेल खरीद है। चीन ने अमेरिका की उस मांग को ठुकरा दिया है जिसमें रूस और ईरान से तेल खरीद बंद करने की बात कही गई है। चीन ने दो टूक कहा है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से ही तय करेगा कि वह किस देश से तेल खरीदे।

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    गौरतलब है कि अमेरिका ने चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है। स्टाकहोम में दो दिवसीय व्यापार वार्ता के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट किया, ''चीन हमेशा अपनी ऊर्जा आपूर्ति को ऐसे तरीकों से सुनिश्चित करेगा जो हमारे राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करें।'' यह पोस्ट अमेरिका की 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी पर प्रतिक्रियास्वरूप आया है।

    मंत्रालय ने कहा, ''जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा। चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा।'' यह प्रतिक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह ऐसे समय में आई है जब आसमान छूते टैरिफ और कठोर व्यापार प्रतिबंधों से राहत मिलने के बाद बी¨जग और वा¨शगटन दोनों ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक संबंधों को स्थिर रखने के लिए एक समझौते पर पहुंचने को लेकर आशा एवं सद्भावना का संकेत दे रहे हैं। यह ट्रंप प्रशासन के साथ डील करते समय चीन के कठोर रुख अपनाने के आत्मविश्वास को रेखांकित करता है, खासकर तब जब ट्रेड उसकी ऊर्जा और विदेश नीतियों से जुड़ा हो।

    अमेरिकी वित्त मंत्री स्काट बेसेंट ने कहा कि जब रूस से तेल खरीद की बात आती है, तो ''चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है''। उन्होंने कहा, ''हम उनकी संप्रभुता में बाधा नहीं डालना चाहते, इसलिए वे 100 प्रतिशत टैरिफ देंगे।'' उन्होंने चीनी वार्ताकारों को ''कठोर'' बताते हुए कहा कि चीन के दबाव ने वार्ता को नहीं रोका है।

    उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि हमारे पास समझौते के लिए पर्याप्त विकल्प हैं।'' कंसल्टेंसी फर्म टेनेओ के प्रबंध निदेशक गेब्रियल वाइल्डो ने कहा कि उन्हें संदेह है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वास्तव में 100 प्रतिशत टैरिफ लागू करेंगे। उन्होंने कहा, ''इन धमकियों का एहसास हालिया प्रगति को पटरी से उतार देगा और शायद ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाले व्यापार समझौते की घोषणा की किसी भी संभावना को खत्म कर देगा।''