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    UPI Payments: यूपीआई से बढ़ रही फिजूलखर्ची की लत? जानिए क्या कह रहे एक्सपर्ट

    Updated: Sat, 11 May 2024 03:20 PM (IST)

    यूनिफाइड पेमेंट्स सिस्टम (UPI) ने भारत में डिजिटल पेमेंट का कायाकल्प कर दिया। आज शॉपिंग मॉल से लेकर सब्जी की दुकान पर यूपीआई पेमेंट की सुविधा मिल जाएगी। लोग रोजमर्रा का सामान तो यूपीआई के जरिए खरीद ही रहे वे महंगे होम अप्लायंसेज महंगे गैजेट और डिजाइन कपड़ों के बिल का भुगतान भी इसी से कर रहे हैं। लेकिन इससे फिजूलखर्ची बढ़ने की बात भी कही जा रही है।

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    यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या अप्रैल में 1,330 करोड़ तक पहुंच गई।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। यूनिफाइड पेमेंट्स सिस्टम (UPI) ने भारत में डिजिटल पेमेंट का कायाकल्प कर दिया। आज आपको बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल से लेकर पान और सब्जी की दुकान पर यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट की सुविधा मिल जाएगी। लोग रोजमर्रा का सामान तो यूपीआई के जरिए खरीद ही रहे, वे महंगे होम अप्लायंसेज, महंगे गैजेट और डिजाइन कपड़ों के बिल का भुगतान भी इसी से कर रहे हैं।

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    भारत के पेमेंट सिस्टम को डिजिटल करने और नकदी का चलन कम करने के सफर में इसकी भूमिका काफी अहम है। लेकिन, इस सहूलियत का एक नकारात्मक पक्ष भी है। समाचार एजेंसी आईएएनएस ने एक्सपर्ट के हवाले से बताया कि यूपीआई से लोगों को फिजूलखर्ची की भी लत लग रही है। वे ऐसे भी सामान खरीद ले रहे हैं, जिनकी असल में उस वक्त उन्हें जरूरत नहीं होती।

    यूपीआई से क्यों बढ़ रही फिजूलखर्ची?

    UPI/QR कोड के माध्यम से खरीदारी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह हैं स्मार्टफोन। आज देश की बड़ी आबादी के पास स्मार्टफोन और डेटा की पहुंच हो गई है। वे स्मार्टफोन के जरिए किसी भी चीज का पेमेंट चुटकियों में कर देते हैं। यही फिजूलखर्ची की वजह भी बन रहा है।

    IIT दिल्ली का एक हालिया सर्वे बताता है कि यूपीआई और अन्य डिजिटल पेमेंट ऑप्शन की वजह से करीब 74 फीसदी लोग 'जरूरत से ज्यादा खर्च' कर रहे हैं। दरअसल, नकद पैसों की तुलना में डिजिटल मोड से पेमेंट करना काफी आसान है। नकदी में कभी चेंज जैसी समस्या हो जाती है, या फिर उस वक्त आपके पास उतने पैसे नहीं होते, तो आप खरीदारी से रुक जाते हैं।

    लेकिन, यूपीआई या किसी दूसरे डिजिटल पेमेंट में कोई दिक्कत नहीं होती। आपके बैंक अकाउंट में जितने पैसे होते हैं, समझ लीजिए कि वे आपके स्मार्टफोन में हैं। यहां तक कि आप क्रेडिट कार्ड जैसे माध्यमों के इस्तेमाल से बैंक अकाउंट से ज्यादा भी खर्च कर सकते हैं। आप दोस्तों या रिश्तेदारों से फौरन उधार भी ले सकते हैं।

    क्या कह रहे हैं इंडस्ट्री एक्सपर्ट?

    मार्केट इंटेलिजेंस फर्म सीएमआर में इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप के हेड प्रभु राम ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, 'इस तरह की सहूलियत से फिजूलखर्ची बढ़ने की काफी संभावना रहती है, क्योंकि यह डिजिटल मोड रहता है। इसमें हाथ से नकद पैसे देने की तरह नहीं लगता कि आप कितना पैसा खर्च कर रहे हैं।'

    नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के लेटेस्ट डेटा से पता चला है कि यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या अप्रैल में 1,330 करोड़ तक पहुंच गई। इसमें सालाना आधार पर 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल यूपीआई लेनदेन लगभग 60 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 11,768 करोड़ तक पहुंच गया था।

    विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में उपभोक्ता खर्च बढ़ रहा है। अब लोग कार, स्मार्टफोन, टीवी और अन्य वस्तुओं पर जमकर पैसा खर्च कर रहे हैं। इससे देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है। हालांकि, यह भी देखा जा रहा है कि यूपीआई की वजह से लोग कुछ ऊंचे दाम वाली वस्तुओं पर जरूरत से ज्यादा खर्च कर रहे हैं। और यह चलन लगातार बढ़ रहा है।

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