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    इजरायल संकट के आर्थिक असर पर सरकार और उद्योग सतर्क, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने बोले- मामले पर है करीबी नजर

    Israel crisis News

    By Jagran NewsEdited By: Anand PandeyUpdated: Mon, 09 Oct 2023 08:14 PM (IST)
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    भारत इजरायल को डीजल और तराशे हुए हीरों का निर्यात करता है। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इजरायल पर हमास आतंकियों के हमले के बाद उस पूरे क्षेत्र में जिस तरह से स्थिति तनावपूर्ण होती जा रही है, उसका व्यापक आर्थिक असर होने की संभावना जताई जा रही है। भारत के आर्थिक हितों के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार और कारपोरेट जगत पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है।

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    दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश होने की वजह से भारत की सबसे बड़ी चिंता कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर है। यही वजह है कि पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि पूरे मामले पर करीबी नजर बनाकर रखनी होगी।

    पिछले हफ्ते 10 डालर की गिरावट देखने वाले कच्चे तेल की कीमत सोमवार को चार प्रतिशत बढ़कर 87 डालर पर आ गई है। इसमें होने वाली वृद्धि शेयर बाजार के साथ महंगाई और वित्तीय घाटे को भी प्रभावित कर सकती है।

    वैश्विक कारोबार पर शोध करने वाले थिंक टैंक जीटीआरआइ की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022-23 में भारत और इजरायल का कुल द्विपक्षीय कारोबार 12 अरब डालर का था। कारोबार घाटा भारत के पक्ष (6.1 अरब डालर) में है।

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    भारत मुख्य तौर पर डीजल और तराशे हुए हीरों का निर्यात इजरायल को करता है। युद्ध की स्थिति के चलते अब कारोबारियों की बीमा लागत बढ़ जाएगी। इसकी वजह यह है कि बीमा कंपनियां ज्यादा जोखिम की वजह से प्रीमियम बढ़ा देंगी।

    युद्ध की वजह से भारत से इजरायल को होने वाले निर्यात पर उल्टा असर पड़ सकता है। वर्ष 2022-23 में रत्न व आभूषण का द्विपक्षीय कारोबार 204.16 करोड़ डालर का था। पिछले वित्त वर्ष के दौरान युद्ध नहीं होने के बावजूद रत्न व आभूषण के निर्यात में कमी आई थी। इस साल ज्यादा गिरावट हो सकती है। इजरायल में भारत में तराशे गए हीरों की काफी मांग है।

    कोलिन शाह, एमडी, कामा ज्वेलरी

    हाइफा पोर्ट के प्रभावित होने से अदाणी समूह चिंतित

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर युद्ध का असर इजरायल के बंदरगाहों पर होता है तो भारतीय इकोनमी के लिए ज्यादा चिंता की बात होगी। बताते चलें कि इजरायल के हाइफा पोर्ट का संचालन भारत स्थित अदाणी समूह के पास है। इसने हाल ही में 1.2 अरब डालर में इस पोर्ट का अधिग्रहण किया था। देश का प्रमुख उद्योग समूह अदाणी इजरायल-फलस्तीन विवाद का हाईफा पोर्ट पर असर होने से चिंतित है।

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    कंपनी के प्रवक्ता ने कहा है कि, 'दक्षिण इजरायल में केंद्रित घटनाओं पर हम करीबी नजर रखे हैं। हाइफा पोर्ट उत्तरी क्षेत्र में है। हमने अपने कर्मचारियों और उनके परिजनों को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं। हम कारोबार को सुचारू तौर पर चलाने के विकल्प पर भी काम कर रहे हैं ताकि किसी तरह की आपातकालीन स्थिति में कोई असर नहीं हो।' फरवरी, 2023 में कंपनी ने बताया था कि वह हाइफा पोर्ट में और ज्यादा निवेश करेगी।

    जिंस बाजार पर भी दिखेगा असर

    कुछ दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इजरायल-फलस्तीन विवाद से वैश्विक बाजारों पर उल्टा असर होता है तो निश्चित तौर पर भारतीय शेयर और जिंस बाजार भी इसकी चपेट में आएंगे। मेहता इक्विटीज के निदेशक शरद चंद्र शुक्ला का कहना है कि कच्चे तेल की कीमत में पांच प्रतिशत का इजाफा और अमेरिकी बांड बाजार में तेजी कोई बहुत अच्छा संकेत नहीं है। संभव है कि निवेशक तेजी से सोने का विकल्प अपनाएं। यह विवाद कितना लंबा खींचता है उससे तय होगा कि भारतीय बाजार पर असर कितना होता है।