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    बिल्डरों की दया पर नहीं छोड़े जा सकते फ्लैट खरीदार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, देश को माडल बायर-बिल्डर एग्रीमेंट की जरूरत

    By NiteshEdited By:
    Updated: Tue, 05 Oct 2021 07:54 AM (IST)

    मनमाना एग्रीमेंट बनाते हैं बिल्डरयाचिका में माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट बनाए जाने की मांग करते हुए कहा गया है कि इस समय होने वाले ज्यादातर बिल्डर बायर ...और पढ़ें

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    Uniform builder buyer agreement required Supreme Court issues notice to Centre

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि फ्लैट खरीदारों को बिल्डरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने फ्लैट खरीदारों को बिल्डर के मनमाना एकतरफा शर्तों से बचाने के लिए बिल्डर बायर माडल एग्रीमेंट बनाने की मांग पर केंद्र और राज्यों को नोटिस भी जारी किया। बिल्डर बायर माडल एग्रीमेंट को देश के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए अदालत ने कहा कि उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए भी यह बहुत जरूरी है क्योंकि बिल्डर एग्रीमेंट में कितने ही उपबंध जोड़ने की कोशिश करेगा जिनसे आम आदमी वाकिफ न हों। एग्रीमेंट में एक समानता होना जरूरी है।

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    न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय और तीन अन्य की ओर से बिल्डर बायर माडल एग्रीमेंट बनाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर कर रही थी। याचिकाओं में बिल्डरों द्वारा खरीदारों के साथ किए जाने वाले एग्रीमेंट में अपने पक्ष की मनमानी शर्तों को रखे जाने की बात कही गई है। कहा गया है कि बिल्डर बायर एग्रीमेंट का देश भर में एक समान फारमेट तय नहीं होने के कारण बिल्डर जो एग्रीमेंट तैयार कराते हैं उनकी शर्तें उनकी तरफ झुकी होती हैं।

    बायर के पास कोई विकल्प न होने के चलते वह उस करार पर हस्ताक्षर करने को मजबूर होता है। याचिकाओं में कहा गया है कि खरीदार को बिल्डर की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह बिल्डर बायर माडल एग्रीमेंट तैयार करे और सभी राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वे केंद्र द्वारा तैयार माडल एग्रीमेंट को अपना कर उसे लागू करें।

    याचिकाओं पर बहस करते हुए वरिष्ठ वकील विकास ¨सह, मेनका गुरुस्वामी व अन्य वकीलों ने पक्ष रखा और रेरा के कानूनी प्रविधानों का हवाला देते हुए माडल एग्रीमेंट तैयार करने की मांग की। कोर्ट ने विषय को महत्वपूर्ण मानते हुए याचिकाओं पर नोटिस जारी किया। साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि वह माडल एग्रीमेंट के कानूनी मुद्दे पर ही विचार करेगा। कुछ याचिकाओं में बिल्डरों के खिलाफ की गई अलग-अलग मांगों पर सुनवाई नहीं करेगा। उन मांगों को याचिकाकर्ता उचित फोरम के समक्ष रख सकते हैं।

    मनमाना एग्रीमेंट बनाते हैं बिल्डरयाचिका में माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट बनाए जाने की मांग करते हुए कहा गया है कि इस समय होने वाले ज्यादातर बिल्डर बायर एग्रीमेंट में शर्तें बिल्डर के पक्ष की ओर झुकी होती हैं। अगर खरीदार किस्त देने में चूकता है तो उसे 18 फीसद की दर से ब्याज देना होता है जबकि बिल्डर अगर फ्लैट देने में देरी करेगा तो उसे सिर्फ पांच रुपये प्रति वर्गगज की दर से मुआवजा देना होता है। कहा गया है कि घर खरीदारों के हितों को संरक्षित करने के लिए 2016 में केंद्र सरकार ने रेरा कानून बनाया था, उस कानून में दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए बायर बिल्डर एग्रीमेंट भी बनाना चाहिए।

     

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