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    शेयर मार्केट में अनिश्चतता का माहौल, क्या फार्मा फंड्स में दांव लगाना रहेगा सही?

    Updated: Sat, 23 Nov 2024 11:00 AM (IST)

    एक्सपर्ट के मुताबिक फार्मा या हेल्थ सेक्टर से जुड़े फंड्स की भविष्य की संभावनाएं अभी भी बनी हुई हैं। भारत में आबादी लगातार बढ़ रही है। बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इससे फार्मा सेक्टर काफी आगे बढ़ेगा। वैश्विक फार्मा क्षेत्र में भारत की बढ़ती धमक सरकार की नीतियां कुछ ऐसी वजहें है जिसके आधार पर इस सेक्टर को लेकर संभावनाएं जताई जा रही हैं।

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    फार्मा फंड्स इस साल औसतन 44 फीसद का रिटर्न दे रहे हैं।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शेयर बाजार में अस्थिरता का माहौल है, लेकिन म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ने में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है। ताजे आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर, 2024 में 41,224 करोड़ रुपये का निवेश म्यूचुअल फंड्स में किये गये हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश की जाने वाली मासिक राशि का आंकड़ा 25,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है।

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    वैसे तो पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय शेयर बाजार की तेजी ने हर श्रेणी के म्यूचुअल फंड (एमएफ) के निवेशकों को मालामाल किया है। हाल के हफ्तों में जिस तरह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है उससे यह सवाल उठ रहा है कि किस सेक्टर के एमएफ निवेशकों के लिए ज्यादा सुरक्षित हैं या जो मौजूदा अनिश्चितता के इत्तर निकट भविष्य में बेहतर निवेश देने की क्षमता रखते हैं। इ

    इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि फार्मास्यूटिकल्स या हेल्थ सेक्टर से जुड़े फंड्स की भविष्य की संभावनाएं अभी भी बनी हुई हैं। भारत में जनसंख्या में हो रही लगातार वृद्धि, वैश्विक फार्मा क्षेत्र में भारत की बढ़ती धमक, सरकार की नीतियां कुछ ऐसी वजहें है जिसके आधार पर इस सेक्टर की भारत आधारित म्यूचुअल फंड को लेकर संभावनाएं जताई जा रही हैं और निवेशकों को अपने कुल फंड आंवटन का 20 फीसद तक हिस्सा इसमें डालने की सलाह दी जा रही है।

    फार्मा फंड पर क्यों लगाएं दांव?

    पीजीआईएम इंडिया एसेट मैनेजमेंट के सीईओ अजीत मेनन का कहना है कि, “कम लागत, इनोवेशन, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए बढ़ती जागरूकता, बढ़ता विदेशी निवेश, लगातार बढ़ रहे मेडिकल टूरिज्म और अन्य कई फैक्टर के चलते निवेशकों को फार्मा फंड में निवेश करने का लाभ मिलेगा।''

    पीजीआईएम इंडिया एसेट मैनेजमेंट के आनंद पद्मनाभन अंजेनेयन, सीनियर फंड मैनेजर (इक्विटीज) का कहना है कि, “इस सेक्टर की एक खास बात यह है कि कीमत में बदलाव से डिमांड पर कुछ खास असर नहीं होता है। जिसके चलते प्राइ¨सग पावर बेहतर होती है, खासकर महंगाई के माहौल का भी कोई असर नहीं होता। यह एक निवेशक को लंबी अवधि में अपनी पूंजी बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।''

    पीजीआईएम ने पिछले हफ्ते इंडिया हेल्थकेयर फंड लांच किया है। पिछले दो वर्षों के भीतर इस तरह के कई फार्मा फंड्स लांच किये गये हैं। इस साल औसतन 44 फीसद का रिटर्न ये दे रहे हैं।

    फार्मा में जल्द आत्मनिर्भर बनेगा भारत

    कुछ विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि कोविड काल के बाद भारत ने अपने घरेलू फार्मास्यूटिकल निर्माण सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने का जो अभियान शुरू किया था उसका असर आने में दो -तीन वर्ष लगेंगे। भारत अभी फार्मा का एक बड़ा निर्यातक है लेकिन इसके लिए जरूरी कच्चा माल वह आम तौर पर चीन से आयात करता है। अब भारत सरकार की मदद से कच्चे माल को तैयार करने का काम भी भारत में करने की कोशिश शुरू हुई है।

    भारत अपनी जरूरत का 50 फीसद बल्क ड्रग्स की आपूर्ति भी घरेलू सेक्टर से पूरी करना शुरू कर देगा तो इसका व्यापक असर होगा। इससे भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर और ज्यादा सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयों की आपूर्ति शुरू कर सकती हैं। वैसे निवेशकों को यह सुझाव दिया जा रहा है कि वह अपने कुल फंड आवंटन का 10-20 फीसद तक फार्मा फंड में करने से शुरूआत करें।

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