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    अमेरिकी नागरिकों को 2-2 हजार डॉलर का डिविडेंड बांटेंगे ट्रंप! टैरिफ से हुई कमाई का मना रहे जश्न

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 03:36 PM (IST)

    ट्रंप ने टैरिफ से मिले पैसे से अमेरिकी नागरिकों को 2000 डॉलर का डिविडेंड (Trump's Tariff Dividend) देने का वादा किया है। यह पैसा कम और मध्यम आय वाले लोगों को दिया जाएगा। व्हाइट हाउस भी इस योजना को लागू करने के लिए कानूनी विकल्प तलाश रहा है। 

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    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकियों को टैरिफ रेवेन्यू से 2,000 डॉलर के ''डिविडेंड चेक" भेजने की फिर से बात कही है।

    नई दिल्ली। ट्रंप का टैरिफ यह वह शब्द है जो कनाडा, चीन, भारत जैसे कई देशों में बड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है। यह जब कोई देश दूसरे देश से सामान मंगाता है, तो उस पर एक्स्ट्रा टैक्स लगता है। इससे अमेरिका को पैसा मिलता है। इसी पर ट्रंप अमेरिका के लोगों को कह रहे हैं कि, वह ये पैसा अमेरिकी लोगों को बांट देंगे।

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    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकियों को टैरिफ रेवेन्यू से 2,000 डॉलर के ''डिविडेंड चेक" भेजने की फिर से बात कही है। वह इस पैसे को डिविडेंड के रूप में देंगे। लेकिन क्या यह वाकई होगा? प्रेडिक्शन बेटिंग साइट्स जैसे पॉलीमार्केट और कल्शी पर दांव लगाने वाले लोग काफी संशय में हैं।

    ट्रंप ने 9 नवंबर को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया था "हर व्यक्ति को कम से कम 2,000 डॉलर का डिविडेंड दिया जाएगा।" हालांकि ये चेक कम और मध्यम आय वाले लोगों को मिलेंगे। उच्च आय वालों को नहीं। उन्होंने टैरिफ का समर्थन करते हुए कहा कि यह अमेरिका में रिकॉर्ड निवेश ला रहा है और राष्ट्रीय कर्ज चुकाने में मदद करेगा।

    तीन दिन बाद, 12 नवंबर को व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने इसका सपोर्ट किया। जब इस मामले में उनसे सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "व्हाइट हाउस इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और हम सभी कानूनी विकल्पों को ढूढ रहे हैं।"

    ट्रंप ने जुलाई में भी टैरिफ रेवेन्यू से छोटी रिबेट देने का जिक्र किया था, लेकिन मुख्य लक्ष्य कर्ज चुकाना बताया था। 10 नवंबर को उन्होंने स्पष्ट किया कि ये भुगतान "कम और मध्यम आय वाले अमेरिकी नागरिकों" को दिए जाएंगे।

    हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने अमेरिकियों को पैसे देने का वादा किया हो। फरवरी में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) से बचत से स्टिमुलस चेक का विचार आया था, लेकिन कोई चेक नहीं मिला।

    पॉलीमार्केट पर क्या कहते हैं दांव?

    15 नवंबर तक पॉलीमार्केट पर गतिविधि से लगता है कि यूजर्स संशयपूर्ण हैं। "क्या ट्रंप 2025 में टैरिफ डिविडेंड बनाएंगे?" वाले बाजार में हां की संभावना सिर्फ 7% है, जबकि वॉल्यूम 9,50,000 डॉलर से ज्यादा का है। यह दांव 3 अक्टूबर से शुरू हुआ था और 9 नवंबर को 17% तक पहुंचा, लेकिन अब गिर गया है।

    ट्रंप ने अगस्त में यह बात कही थी और 2 अक्टूबर को वन अमेरिका न्यूज नेटवर्क (OAN) इंटरव्यू में कहा, "हम 1,000 से 2,000 डॉलर के बारे में सोच रहे हैं। यह शानदार होगा।"

    एक अन्य बाजार में, 31 मार्च 2026 तक डिविडेंड बनाने की संभावना 26% है। यह 9 नवंबर को शुरू हुआ और 13 नवंबर को 44% तक पहुंचा, लेकिन अब गिर गया। जिसका वॉल्यूम 19,620 डॉलर से ज्यादा है। 13 नवंबर से शुरू एक और बाजार, जहां 31 दिसंबर तक चेक मिलने की संभावना 6% है, अभी कम गतिविधि वाला है।

    ट्रंप के टैरिफ से 2025 में 250 अरब डॉलर से ज्यादा रेवेन्यू आने की संभावना भी 6% पर आ गई है (अप्रैल में 35% थी), वॉल्यूम 9,31,500 डॉलर से ज्यादा।

    कल्शी पर क्या है स्थिति?

    कल्शी पर भी संशय हावी है। 2025 में चेक भेजे जाने की संभावना 5% है, वॉल्यूम 4,18,000 डॉलर से ज्यादा। यह 9 नवंबर को शुरू हुआ और 10 नवंबर को 13.4% तक पहुंचा।

    कल्शी पर ट्रंप के व्यापक टैरिफ को सुप्रीम कोर्ट के चुनौती देने की संभावना भी 24% है (वॉल्यूम 11.7 लाख डॉलर से ज्यादा)। यह 2 सितंबर को शुरू हुआ और 58% तक पहुंचा था। 5 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ लगाने के अधिकार पर बहस सुनी, जहां ज्यादातर जज संशयपूर्ण लगे।

    रेवेन्यू की कमी: गणित कैसे बनेगा?

    रिस्पॉन्सिबल फेडरल बजट कमिटी (नॉन-पार्टिसन) के अनुसार, अब तक टैरिफ से 100 अरब डॉलर रेवेन्यू आया है, जबकि शुरुआती चेक के लिए 600 अरब डॉलर चाहिए। टैक्स फाउंडेशन का अनुमान है कि 2026 वित्तीय वर्ष (1 अक्टूबर से शुरू) में नेट रेवेन्यू 216 अरब डॉलर होगा।


    जियोपॉलिटिकल फ्यूचरिस्ट स्कॉट स्टीनबर्ग ने यूएसए टुडे को बताया, "कांग्रेस को मंजूरी देनी होगी और रेवेन्यू पर्याप्त नहीं लगता। बिना अतिरिक्त शर्तों के गणित मुश्किल है। यह निजी नागरिकों के लिए फायदेमंद होगा, लेकिन कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं बचेगा।" उन्होंने कहा, "यह अवकाशकाल में वित्तीय बोझ कम करने के लिए अच्छा होगा, लेकिन वर्तमान योजना से अमल मुश्किल लगता है।"

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