Trump Tariffs News: जानिए ट्रंप के नए टैरिफ से भारत की कौन सी इंडस्ट्री रहेगी बेअसर, किसकी बढ़ेगी मुश्किल
Trump Tariffs News डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर दोहरा टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत की किस इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हम आपको बता रहे हैं कि कौन सी इंडस्ट्री इस टैरिफ से बेअसर रहेगी किस पर असर मामूली होगा और किसके लिए मुश्किलें ज्यादा बढ़ेंगी।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 6 अगस्त को भारत से आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। इससे 27 अगस्त से कुल टैरिफ 50% हो जाएगा। यह अमेरिका के MFN टैरिफ के अतिरिक्त है। अमेरिका का कहना है कि यह कदम भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण उठाया गया है। भारत अब अमेरिका के सबसे भारी टैरिफ वाले व्यापारिक साझेदारों में से एक बन गया है। इस रिपोर्ट में हम बता रहे हैं कि ये नए टैरिफ भारतीय निर्यात को कैसे प्रभावित करेंगे।
अत्यधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्र (निर्यात में 50%-70% की गिरावट संभव)
1. झींगेः भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 2 अरब डॉलर के झींगे का निर्यात किया, जो कुल अमेरिकी झींगा आयात का 9.52% है। इन पर अब 50% टैरिफ और लगभग 10% एंटी-डंपिंग शुल्क और CVD लागू होगा। भारत को कनाडा (16.16% हिस्सेदारी, 0% टैरिफ) और चिली (15.02% हिस्सेदारी, 10% ट्रंप टैरिफ) से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इतने अधिक टैरिफ के कारण भारतीय निर्यातकों के लिए चिली से मुकाबला करना मुश्किल होगा। शीर्ष भारतीय निर्यातकों में देवी फिशरीज, कादर एक्सपोर्ट्स, फाल्कन मरीन और नेकांति सी फूड्स शामिल हैं।
2. ऑर्गेनिक केमिकलः भारत ने अमेरिका को 2.7 अरब डॉलर के ऑर्गेनिक केमिकल का निर्यात किया, जिसमें बाजार हिस्सेदारी 5.11% है। अब इस पर कुल 54% शुल्क (4% MFN + 50% ट्रंप टैरिफ) लगेगा। इसके विपरीत आयरलैंड (36.11% हिस्सेदारी) के लिए शुल्क की दर केवल 15% और स्विट्जरलैंड (6.46% हिस्सेदारी) के लिए 39% है। भारतीय निर्यातकों को इन देशों के सप्लायरों से प्रतिस्पर्धी में बने रहने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
3. कारपेटः भारत अमेरिका को कालीन का सबसे बड़ा निर्यातक है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 35.48% और निर्यात लगभग 1.2 अरब डॉलर का है। अब इन पर 52.9% शुल्क (2.9% MFN + 50% टैरिफ) लगेगा। तुर्की (24.23% हिस्सेदारी, 10% टैरिफ) और चीन (12.88% हिस्सेदारी, 30% टैरिफ) प्रमुख प्रतिस्पर्धी हैं। प्रमुख भारतीय निर्यातकों में वेलस्पन, देवगिरी एक्सपोर्ट्स, फेज़ थ्री और परवेज़ कार्पेट्स शामिल हैं। ऊंचा टैरिफ भारत की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
4. निटेड अपैरलः भारत ने पिछले वर्ष 2.7 अरब डॉलर के निटेड अपैरल का निर्यात किया, जिसकी अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी 5.09% है। अब इस पर कुल 63.9% शुल्क (13.9% MFN + 50% टैरिफ) लागू होगा। भारत के प्रमुख प्रतिस्पर्धियों में चीन (22.45% हिस्सेदारी, 30% टैरिफ), वियतनाम (17.99% हिस्सेदारी, 20% टैरिफ) और कंबोडिया (5.9% हिस्सेदारी और 18% टैरिफ) शामिल हैं। शाही एक्सपोर्ट्स और किटेक्स गारमेंट्स प्रमुख निर्यातकों में शामिल हैं। 40% से अधिक के टैरिफ अंतर के कारण भारत के सामने अपनी बाजार हिस्सेदारी खोने का जोखिम रहेगा।
5. वुवन अपैरलः भारत ने इनका पिछले साल 2.7 अरब डॉलर का निर्यात किया। इन पर अब 60.3% शुल्क (10.3% MFN + 50% टैरिफ) लागू होगा। प्रतिस्पर्धी देशों में चीन (21.36% हिस्सेदारी, 30% टैरिफ), वियतनाम (18.73% हिस्सेदारी, 20% टैरिफ) और बांग्लादेश (13.15% हिस्सेदारी, 18% टैरिफ) शामिल हैं। इसमें भारत की हिस्सेदारी पहले ही मामूली है। यह और घट सकता है।
6. मेड-अप्सः इसमें बेड लिनन, तौलिए और पर्दे जैसी चीजें शामिल होती हैं। भारत ने इनका 3 अरब डॉलर का निर्यात किया, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 17.14% थी। इन पर अब कुल 59% टैरिफ (9% MFN + 50% टैरिफ) लगेगा। अमेरिकी बाजार का 51.78% हिस्सा चीन के पास है। पाकिस्तान की बाजार हिस्सेदारी 8.7% और उसके लिए भी टैरिफ की दर कम है। इंडो काउंट और ट्राइडेंट जैसे निर्यातकों को ऑर्डरों में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
7. हीरा, सोना और ज्वैलरीः 10 अरब डॉलर के निर्यात और 13.63% बाजार हिस्सेदारी के साथ यह अमेरिका को भारत का प्रमुख निर्यात क्षेत्र है। इस पर अब 52.1% शुल्क (2.1% MFN + 50% टैरिफ) लगेगा। स्विट्जरलैंड की बाजार हिस्सेदारी 17.02% और कनाडा की 10.44% है। उनके लिए टैरिफ की दर क्रमशः 39% और 35% है। प्रमुख भारतीय निर्यातकों में श्री रामकृष्ण, किरण जेम्स, टाइटन कंपनी और अन्य शामिल हैं। इस सेक्टर में प्रॉफिट मार्जिन पहले ही 3-4% है। इसे देखते हुए ऊंचा टैरिफ निर्यात को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
8. मशीनरी और मेकैनिकल उपकरणः भारत ने पिछले वर्ष 6.7 अरब डॉलर की मशीनरी का निर्यात किया और अमेरिका के आयात में 6.79% हिस्सा था। इन पर अब 51.3% शुल्क (1.3% MFN + 50% टैरिफ) लगेगा। अमेरिका- मेक्सिको- कनाडा संधि के कारण मेक्सिको को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता जबकि उसकी बाजार हिस्सेदारी 19.92% है। चीन (16.03% हिस्सेदारी, 30% टैरिफ) और ताइवान (10% हिस्सेदारी, 15% टैरिफ) से भी पीछे है। शीर्ष भारतीय फर्मों में GE इंडिया, भारत फोर्ज और JCB इंडिया शामिल हैं। टैरिफ से एडवांस मैन्युफैक्चरिंग निर्यात का बढ़ना रुक सकता है।
9. फर्नीचर और बेडिंगः भारत ने इनका 1.1 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो अमेरिकी फर्नीचर आयात का केवल 1.93% है। इन पर 52.3% शुल्क (2.3% MFN + 50% टैरिफ) लागू होगा। चीन (28.82% हिस्सेदारी, 30% टैरिफ), वियतनाम (20.65% हिस्सेदारी, 20% टैरिफ) और मेक्सिको (17.65% हिस्सेदारी, 25% टैरिफ) के लिए टैरिफ की दर कम है। भारत से मुख्यतः राजस्थान और तमिलनाडु के एमएसएमई इनका निर्यात करते हैं। ऊंचे शुल्क के कारण इनकी बाजार हिस्सेदारी और घटने का खतरा रहेगा।
अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्र (निर्यात में 30-50% की गिरावट संभव)
10. स्टील, एल्युमीनियम और कॉपरः भारत ने इनका 4.7 अरब डॉलर का निर्यात किया और अमेरिका के आयात में 6.69% हिस्सेदारी थी। इन पर 51.7% शुल्क (1.7% MFN + 50%) लागू होगा। चीन (25.02% हिस्सेदारी), मेक्सिको (13.95% हिस्सेदारी) और कनाडा (10.35% हिस्सेदारी) समान शुल्क का भुगतान करते हैं। लेकिन ऊंचे टैरिफ के कारण अमेरिका में इनकी मांग कम हो सकती है। इसका प्रभाव JSW, टाटा स्टील और हिंदुस्तान कॉपर जैसी कंपनियों पर हो सकता है।
11. ऑटो पार्ट्सः भारत की बाजार हिस्सेदारी केवल 0.72% है और पिछले वर्ष इनका 2.6 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। भारतीय ऑटो पार्ट्स पर 26% शुल्क (1% MFN + 25% टैरिफ) लागू होगा। मेक्सिको 35.06% हिस्सेदारी (25% टैरिफ) के साथ सबसे आगे है। उसके बाद जापान (13.10% हिस्सेदारी, 15% टैरिफ) और कनाडा (12.97% हिस्सेदारी, 25% टैरिफ) का स्थान है। डाना आनंद, भारत फोर्ज और सुपर ऑटो फोर्ज जैसे भारतीय निर्यातक कम मार्जिन पर काम करते हैं। टैरिफ में अंतर के कारण इन्हें नुकसान हो सकता है।
कम या बिना प्रभाव वाले क्षेत्र
12. दवाइयांः भारत ने 5.98% हिस्सेदारी के साथ 9.8 अरब डॉलर की दवाओं का निर्यात किया। इन पर अभी जीरो टैरिफ ही है। आयरलैंड (23.66% हिस्सेदारी), स्विट्जरलैंड (8.94%) और जर्मनी (8.10%) शीर्ष सप्लायर देश हैं और सभी को नए टैरिफ से फिलहा छूट है। जीरो टैरिफ रहने की स्थिति में डॉ. रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा और जाइडस जैसी भारतीय दिग्गज कंपनियां अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ा भी सकती हैं। वैसे, ट्रंप ने फार्मा पर 200% तक टैरिफ की चेतावनी दी है।
13. स्मार्टफोनः भारत ने 13.7% हिस्सेदारी के साथ 10.6 अरब डॉलर का निर्यात किया और इस पर अभी कोई टैरिफ नहीं है। चीन (81% हिस्सेदारी) और वियतनाम (4.2%) भी प्रमुख खिलाड़ी हैं। लेकिन फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और सैमसंग इंडिया के नेतृत्व में भारत का निर्यात बढ़ रहा है। जब तक टैरिफ शून्य रहते हैं और चीन महत्वपूर्ण कंपोनेंट की आपूर्ति जारी रखता है, तब तक भारत प्रतिस्पर्धी बने रह सकता है।
14. पेट्रोलियम उत्पादः भारत ने पिछले वर्ष 4.1 बिलियन डॉलर (1.29% हिस्सेदारी) का निर्यात किया। इस पर शून्य ट्रंप टैरिफ के साथ 6.9% MFN शुल्क है। कनाडा (52.16% हिस्सेदारी), मेक्सिको (6.71%), और सऊदी अरब (4.26%) इस श्रेणी में प्रमुख हैं। उनके लिए भी कोई टैरिफ नहीं है। रिलायंस, इंडियन ऑयल जैसी भारतीय कंपनियां रूस को छोड़ दूसरे देशों से कच्चा तेल खरीदकर पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात जारी रख सकती हैं।
(थिंकटैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव का विश्लेषण)
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