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    अमेरिका को 60 अरब डॉलर के निर्यात पर कल से 50% Trump Tariff, जानिए कौन से सेक्टर होंगे ज्यादा प्रभावित

    Trump Tariffs On India कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन विभाग के नोटिस जारी किए जाने के बाद कल से अमेरिका में ज्यादातर भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगना लगभग तय हो गया है। फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक जैसे प्रोडक्ट तो अभी टैरिफ के दायरे से बाहर हैं लेकिन श्रिंप अपैरल लेदर जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे लेबर इंटेंसिव सेक्टर के अधिक प्रभावित होने की आशंका है।

    By Jagran News Edited By: Sunil Kumar Singh Updated: Tue, 26 Aug 2025 01:59 PM (IST)
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    अमेरिका को 60 अरब डॉलर के निर्यात पर कल से 50% Trump Tariff, जानिए कौन से सेक्टर होंगे ज्यादा प्रभावित

    Trump Tariffs On India: अमेरिका के कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) विभाग ने भारत से आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ड्राफ्ट नोटिस जारी कर दिया है। इस नोटिस के अनुसार 27 अगस्त की सुबह 9:31 बजे (भारतीय समय के अनुसार) भारत से अमेरिका में आयात होने वाले ज्यादातर उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू हो जाएगा। (India-Us Trade War) रूस से भारत के कच्चा तेल खरीदने के कारण राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई 2025 को अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी।

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    माना जा रहा है कि इस 50% टैरिफ से श्रिंप, अपैरल, लेदर और जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे श्रम सघन निर्यात सेक्टर पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर टैरिफ से अभी छूट मिली हुई है। अभी भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका 25 प्रतिशत टैरिफ लग रहा है। रूस से कच्चा तेल और हथियार खरीदने के कारण कल से और 25 प्रतिशत टैरिफ लागू हो जाएगा।

    निर्यातकों के अनुसार इस अतिरिक्त ड्यूटी के बाद कई भारतीय उत्पाद बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगे क्योंकि उन देशों पर टैरिफ कम है।

    निर्यातकों ने जुलाई में किया ज्यादा निर्यात

    27 अगस्त से अतिरिक्त टैरिफ की आशंका को देखते हुए कुछ कंपनियों ने अमेरिका को निर्यात पहले ही बढ़ा दिया था। यह जुलाई के ट्रेड आंकड़ों से पता चलता है। पिछले महीने भारत से अमेरिका को वस्तु निर्यात 19.94 प्रतिशत बढ़कर 8.01 अरब डॉलर हो गया। आयात में भी 13.78 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 4.55 अरब डॉलर का रहा। अप्रैल से जुलाई तक अमेरिका को कुल निर्यात 21.64 प्रतिशत बढ़कर 33.53 अरब डॉलर का रहा है।

    लेदर, जेम्स-ज्वेलरी सेक्टर में छंटनी का डर

    लेदर और फुटवियर सेक्टर की कंपनियों का कहना है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर जब तक स्पष्टता नहीं आती तब तक उन्हें उत्पादन और कर्मचारियों की संख्या घटाने पर मजबूर होना पड़ेगा। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के समय द्विपक्षीय कारोबार 2030 तक दोगुना करते हुए 500 अरब डॉलर तक ले जाने की घोषणा की थी।

    जेम्स एंड ज्वेलरी निर्यातकों का भी कहना है कि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा बाजार है, इसलिए टैरिफ को देखते हुए कर्मचारियों की छंटनी तो होगी। एक निर्यातक ने कहा, हमें इतने ऊंचे टैरिफ से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी। हमें ब्याज में सब्सिडी, समय पर जीएसटी रिफंड और स्पेशल इकोनामिक जोन नियमों में बदलाव करना पड़ेगा।

    बांग्लादेश, वियतनाम को 30% का टैरिफ एडवांटेज

    अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के सेक्रेटरी जनरल मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि बीते साल अमेरिका को टेक्सटाइल निर्यात 10.3 अरब डॉलर का था। अभी जो 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है, इंडस्ट्री ने उसे समायोजित करने की तैयारी कर ली थी। लेकिन अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ भारत की अपैरल इंडस्ट्री को अमेरिकी बाजार से बाहर कर देगा। बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों के पास 30 से 31 प्रतिशत टैरिफ का एडवांटेज होगा। इतने अंतर को भर पाना नामुमकिन है।

    थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) का आकलन है कि भारत का 66% निर्यात इस टैरिफ से प्रभावित होगा। भारत के 86.5 अरब डॉलर के कुल निर्यात में से 60.2 अरब डॉलर के निर्यात पर इस अतिरिक्त टैरिफ का असर पड़ेगा।

    GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, “कल से लागू होने वाले वाली नई टैरिफ व्यवस्था हाल के वर्षों में भारत के लिए सबसे बड़ा व्यापार झटका है। भारत का करीब दो-तिहाई निर्यात 25 से 50 प्रतिशत टैरिफ के दायरे में आएगा। इनमें टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, श्रिंप, कारपेट, फर्नीचर जैसे लेबर इंटेंसिव सेक्टर भी हैं। इनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता बहुत कम हो जाएगी जिससे इन सेक्टर में रोजगार पर असर पड़ेगा।” श्रीवास्तव के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 में वॉशिंगटन के नए टैरिफ के कारण भारत से अमेरिका को निर्यात 49.6 अरब डॉलर रह जाने की आशंका है।