ट्रंप टैरिफ पर डबल 'अटैक', पहले भारत ने दिया झटका; अब चीन की चाल से सहमा US, कच्चे तेल की 'जंग' में नया मोड़
अमेरिका के टैरिफ गेम (Trump Tariffs) ने इस समय वैश्विक तेल जगत में उथल-पुथल मचा रखी है। भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाते हुए ट्रंप ने रूसी तेल (Crude Oil) और हथियार न खरीदने का दबाव बनाया। लेकिन हिंदुस्तान ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाए। अब भारत की ही तरह चीन ने भी कुछ ऐसा ही कदम उठाया है जिससे अमेरिका को तगड़ा झटका लगा है।

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार ने कच्चे तेल (Crude Oil) की दुनिया में एक नई बहस को जन्म दिया है। पहले उन्होंने भारत पर रूस से तेल और हथियार न खरीदने का दबाव बनाया। लेकिन भारत ने साफ किया कि वह हमेशा अपनी ऊर्जा आपूर्ति को ऐसे तरीकों से सुनिश्चित करेगा जो राष्ट्रीय हितों को पूरा करेगा। इससे Donald Trump को बड़ा झटका लगा। वहीं, भारत के बाद चीन ने भी अमेरिका को तगड़ा झटका दिया। चीन ने भी साफ कह दिया है कि वह अपने राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा आपूर्ति को सुनिश्चित करेगा। चीन के कदम ने तो यह साफ कर दिया है कि अब कच्चे तेल की लड़ाई में नया मोड़ आ चुका है।
ट्रंप का टैरिफ (Trump Tariffs) 7 अगस्त से लागू होगा। पहले यह एक अगस्त से लागू होने वाला था। लगभग 70 देशों को ट्रंप के आयात शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। 7 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका 25 फीसदी का टैरिफ वसूलेगा। राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि भारत और चीन रूस से तेल आयात करना बंद करें। लेकिन एशिया के दोनों देशों ने अपनी ऊर्जा जरूरतों की आपूर्ति के लिए राष्ट्र को सर्वोपरि रखा है।
चीन ने अमेरिका को दिया दो टूक जवाब
अमेरिका की मांग है कि चीन ईरान और रूस से तेल खरीदना बंद कर दे। स्टॉकहोम में दो दिनों की व्यापार वार्ता के बाद बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट किया, "चीन हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।"
यह पोस्ट अमेरिका की 100% टैरिफ लगाने की धमकी पर प्रतिक्रिया के रूप में देखी जा रही है।
चीन के मंत्रालय ने कहा कि, "जबरदस्ती और दबाव से कुछ हासिल नहीं होगा। चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा।"
चीन की ओर से तेल खरीदने को लेकर यह प्रतिक्रिया ऐसे समय पर आई है जब दोनों देशों व्यापारिक संबंधों को स्थिर रखने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। चीन की यह प्रतिक्रिया ट्रंप प्रशासन के साथ व्यवहार करते समय, खासकर जब व्यापार उसकी ऊर्जा और विदेश नीतियों से जुड़ा है।
अमेरिका ने चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की दी धमकी
वार्ता के बाद अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने संवाददाताओं से कहा कि जब रूस से तेल खरीद की बात आती है तो "चीन अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है।"
उन्होंने कहा, "हम उनकी संप्रभुता में बाधा नहीं डालना चाहते, इसलिए वे 100% टैरिफ देना चाहेंगे।"
रूस और ईरान की इकॉनमी को तोड़ना चाहता है अमेरिका
तेल रूस और ईरान के राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। अमेरिका चाहता है कि बड़े देश इनसे तेल न खरीदें। तेल की बिक्री को प्रतिबंधित करने के प्रयास में, अमेरिका रूस की अर्थव्यवस्था को तोड़ना चाहता है।
अमेरिका चाहता है कि रूस को यूक्रेन युद्ध में पीछे हटना पड़े। राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप ने कहा था कि वह शपथ लेते ही रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा देंगे। लेकिन 7 महीने बीत चुके हैं। अब तक युद्ध नहीं रुका। इसलिए अब अमेरिका इस युद्ध से रूस को पीछे धकेलने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है।
रूस और ईरानी तेल पर निर्भर है चीन
चीन रूस और ईरान के तेल पर निर्भर है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन की 2024 की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि ईरान द्वारा निर्यात किए गए तेल का लगभग 80% से 90% चीन को जाता है। चीनी अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन 10 लाख बैरल से अधिक ईरानी तेल आयात से लाभ होता है। ऐसे में अमेरिका चाहता है कि चीन इन देशों से कच्चा तेल न खरीदे। लेकिन चीन ने इससे साफ मना कर दिया है।
चीन, रूस से समुद्री कच्चे तेल के निर्यात में भारत के बाद दूसरे स्थान पर है। कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के विश्लेषणात्मक केंद्र, केएसई इंस्टीट्यूट के अनुसार, अप्रैल में, रूसी तेल का चीनी आयात पिछले महीने की तुलना में 20% बढ़कर 13 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक हो गया।
अब क्या करेंगे डोनाल्ड ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाने ( (Trump Tariffs) की धमकी देने को लेकर चीन और भारत जैसे देशों पर दबाव बनाकर अपनी बात मनवाना चाहते हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा कि उन्हें जानकारी मिल रही है कि भारत, रूस ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। लेकिन उसके अगले ही दिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि वह राष्ट्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने साफ किया कि रूस से तेल खरीदना बंद नहीं हुआ है।
वहीं, भारत के बाद चीन ने भी अमेरिका को जवाब दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत को डेड इकॉनमी कहने वाले डोनाल्ड ट्रंप अब कौन सा कदम उठाएंगे?
कच्चे तेल पर मिडिल ईस्ट समेत कई देशों की अर्थव्यस्था टिकी हुई है। इस तेल की लड़ाई में विश्व तीन खेमे में बंटा है। एक रूस वाला, दूसरा अमेरिका और तीसरा न्यूट्रल खेमा। भारत अपने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए न्यूट्रल खेमे में है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अब कच्चे तेल की लड़ाई में नया मोड़ आ चुका है। देखना होगा कि अब अमेरिका का अगला कदम क्या होता है?
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