Train To Kashmir: भारत में मिलेगा स्विट्जरलैंड सा अहसास, ट्रेन से कश्मीर पहुंचने की कर लें तैयारी
अब सारी मुश्किलें खत्म होने वाली हैं और ट्रेन से कश्मीर पहुंचने का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है। जी हां कश्मीर घाटी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला देश का महत्वाकांक्षी ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट बस पूरा होने ही वाला है। सोमवार को रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल ने इस प्रोजेक्ट के श्रीनगर-संगलदान-कटरा सेक्शन का विस्तार से निरीक्षण किया।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। Train to Kashmir भारत में सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों का जिक्र हो और कश्मीर का नाम उसमें शुमार ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है। शायद ही कोई हो जिसका कभी न कभी कश्मीर जाने का मन न हुआ हो। कश्मीर ऐतिहासिक काल से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो को भी कश्मीर इतना भाता था कि उन्होंने इसे धरती पर स्वर्ग का दर्जा दे दिया था। खुसरों के शब्दों में, ‘गर फिरदौस बर-रुए-ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और सिर्फ यहीं पर है।
जल्द रेल से कश्मीर पहुंचने का सपना होगा पूरा
हालांकि, कश्मीर पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। वर्तमान में कश्मीर पहुंचने के दो ही विकल्प हैं। पहला- या तो हवाई सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि खर्चीला साबित हो सकता है। दूसरा है- सड़क मार्ग, जो कि चुनौतियों से भरा है, क्योंकि पहाड़ी रास्तों पर चलना इतना भी आसान नहीं होता। लेकिन अब सारी मुश्किलें खत्म होने वाली हैं और ट्रेन से कश्मीर पहुंचने का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है। जी हां, कश्मीर घाटी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला देश का महत्वाकांक्षी ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट बस पूरा होने ही वाला है। सोमवार को रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल ने इस प्रोजेक्ट के श्रीनगर-संगलदान-कटरा सेक्शन का विस्तार से निरीक्षण किया। परियोजना का काम मई के अंत या जून के प्रारंभ में पूरा होने का अनुमान है।
कई चुनौतियों का करना पड़ा सामना
- यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती है, जहां सुरंगें, पुल और रिटेनिंग दीवारें बनाने की जरूरत होती है। यह काम बहुत जटिल और खर्चीला होता है, विशेष रूप से भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में।
- कश्मीर में मौसम भी बड़ी चुनौती पेश करता है। सर्दियों में भारी बर्फबारी और भूस्खलन निर्माण कार्य में बाधा डालते हैं।
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की वजह से निर्माण स्थलों और श्रमिकों की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है।
- रेल लाइन बिछाने से वनस्पतियों और जीवों को नुकसान हो सकता है। निर्माण कार्य से धूल और प्रदूषण बढ़ने की समस्या भी सामने आने का खतरा रहा।
मील का पत्थर साबित होगी ये परियोजना
- फिलहाल जम्मू और श्रीनगर के बीच सड़क मार्ग ही मुख्य संपर्क है। मगर, भूस्खलन और खराब मौसम अक्सर इस रास्ते को बाधित कर देते हैं। रेलवे लाइन शुरू हो जाने से हर मौसम में जम्मू-कश्मीर पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, व्यापार के नए अवसर खुलेंगे और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में भी सुधार होगा।
- रेलवे लाइन आने से जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों तक सामानों की ढुलाई आसान और सस्ती हो जाएगी। इससे स्थानीय उत्पादों को देश के अन्य बाजारों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी और कृषि तथा उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा मिलने से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
- जम्मू-कश्मीर की पहाड़ी सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों को अभी सामान और सैनिकों की तैनाती में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रेल लाइन बनने से जवानों और सैन्य उपकरणों की आवाजाही तेज और आसान हो जाएगी, जिससे सीमा सुरक्षा मजबूत होगी।
- बेहतर कनेक्टिविटी से जम्मू-कश्मीर के लोगों का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क बढ़ेगा। इससे सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक भी लोगों की पहुंच आसान हो जाएगी।
- सड़क परिवहन की तुलना में रेलवे से प्रदूषण कम होता है। इससे जम्मू-कश्मीर के नाजुक पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
सुरंग T-33 है प्रोजेक्ट की अहम कड़ी
कटरा के पास सुरंग संख्या टी-33 इस प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा है। करीब तीन किमी लंबी ये सुरंग इस पूरी परियोजना की सबसे अहम कड़ी है। ड्रिलिंग के समय पहाड़ से पानी रिसने के कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। परियोजना अधिकारियों को सुरंग टी-33 के काम की बारीकी से निगरानी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इस परियोजना को भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे चुनौतीपूर्ण रेलवे लाइन में से एक माना जाता है, जो भूवैज्ञानिक जटिलताओं से भरे युवा हिमालय से होकर गुजरती है। गत 20 फरवरी को जम्मू में पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना के पहले चरण को देश को समर्पित किया था।
इसी रूट पर है इंजीनियरिंग का अजूबा चिनाब ब्रिज
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भी इसी रूट पर है। भारतीय इंजीनियरिंग के इस बेमिसाल नमूने को चिनाब ब्रिज नाम दिया गया है, जो चिनाब नदी के ऊपर बनाया गया है। इतनी ऊंचाई पर चिनाब नदी के ऊपर इस पुल का निर्माण करना किसी करिश्मे से कम नहीं है। ये पुल नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर है, जो इसे पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा बनाता है। इसकी लंबाई 1.315 किमी है। इतनी ऊंचाई की वजह से ही इसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल माना जाता है। ये पुल सिर्फ ऊंचा ही नहीं, बल्कि बहुत मजबूत भी है। इसे खास मेटल से बनाया गया है, जो भूकंप और तेज हवाओं का सामना कर सकता है।