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Train to Sikkim: सिक्किम तक रेल सेवा शुरू होने के क्‍या हैं मायने? Indian Railway पहले ही तय कर चुका है डेडलाइन

हालांकि इस परियोजना को 2009-10 में मंजूरी दी गई थी लेकिन भूमि अधिग्रहण और वन विभाग से मंजूरी मिलने में हुई देरी के कारण इसकी प्रगति में देरी हुई क्योंकि रेल लाइन महानंदा वन्यजीव अभयारण्य कर्सियांग वन प्रभाग दार्जिलिंग वन प्रभाग कलिम्पोंग वन प्रभाग और पूर्वी सिक्किम वन प्रभाग से होकर गुजरती है। रेलवे के अनुसार मई 2024 के आखिर से पटरियां बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

By Praveen Prasad Singh Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Wed, 17 Apr 2024 09:00 AM (IST)
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इस परियोजना को 2009-10 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन कई कारणों से यह देर होती रही।

बिजनेस डेस्‍क, नई दिल्‍ली । Train to Sikkim भारत के पूर्वोत्तर राज्‍यों में से एक सिक्किम पर्यटन के साथ-साथ भारत के लिए सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्‍वपूर्ण है। हर साल बड़ी संख्‍या में पर्यटक सिक्किम पहुंचते हैं। राज्‍य पर प्रकृति ने जिस तरह प्‍यार लुटाया है, किसी का भी इसकी ओर‍ खिंचे चले आना लाजमी है। यहां पर्यटन के लिहाज से घूमने लायक जगहों में लाचुंग वैली, बाबा मंदिर, नाथुला पास जैसे कई स्‍थान हैं। वहीं, इस राज्‍य की भौगोलिक स्थिति इसे सामरिक रूप से भारत के लिए महत्‍वपूर्ण बनाती है। इसकी सीमा के उत्तर में तिब्‍बत, पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपाल और दक्षिण में पश्‍च‍िम बंगाल है। सिक्किम पश्‍चिम बंगाल के सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास भी है, जो इसे सामरिक रूप से और भी महत्‍वपूर्ण बनाता है।

लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ट्रेन से सिक्किम जाना वर्तमान में संभव नहीं है। जी हां, पर्यटन के लिहाज से इतना महत्‍वपूर्ण होने के बावजूद आपको सिक्किम जाने के लिए सड़क मार्ग का ही सहारा लेना पड़ेगा। या फिर आप हवाई सेवा का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसकी शुरुआत अक्‍टूबर 2018 में की गई थी। तब उड़ान योजना के तहत राज्‍य के पाक्‍योंग एयरपोर्ट पर उड़ानों का परिचालन शुरू किया गया था। जहां तक रेल मार्ग की बात है, तो सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन सिलीगुड़ी या फिर न्‍यू जलपाईगुड़ी हैं, जहां से आप टैक्‍सी या कोई अन्‍य वाहन बुक कर सिक्किम की राजधानी गंगटोक पहुंच सकते हैं।

लेकिन अब सिक्किम के लिए रेल सेवा का इंतजार जल्‍द ही खत्‍म होने वाला है। रेलवे ने कुछ दिन पहले ही इसकी डेडलाइन भी तय कर दी है। रेलवे ने कहा है कि अगस्‍त 2025 यानी अब से करीब सवा साल बाद ट्रेन से सिक्किम पहुंचने का सपना साकार हो जाएगा। रेलवे ने बताया था कि इस परियोजना के तहत 14 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 10 में खुदाई का काम पूरा किया जा चुका है। रेलवे ने अगस्‍त 2025 की समयसीमा तय की है, जब सिक्किम भी देश के रेल नक्‍शे पर आ जाएगा।

क्‍या है सिवोक-रंगपो रेल प्रोजेक्‍ट (Sivok-Rangpo Rail Project)

  • सिवोक-रंगपो रेल प्रोजेक्‍ट सिक्‍कि‍म को रेल नेटवर्क से जोड़ने यानी ट्रेन के जरिए राज्‍य को पूरे देश से जोड़ने वाला प्रोजेक्‍ट है
  • इसकी कुल लंबाई 44.96 किलोमीटर है। सिवोक रेलवे स्‍टेशन पश्चिम बंगाल में है, जबकि रंगपो सिक्किम में स्थित है
  • इस रास्‍ते पर कुल 14 सुरंगें, 22 छोटे-बड़े ब्रिज और पांच रेलवे स्‍टेशन हैं। सिवोक (Sivok), रियांग (Riyang), तीस्‍ता बाजार(Teesta Bazar) और मेली(Melli) स्‍टेशन पश्चिम बंगाल में हैं, जबकि रंगपो (Rangpo) सिक्किम में है
  • इस रेल मार्ग पर सबसे लंबी सुरंग की लंबाई 5.3 किलोमीटर है, जबकि सबसे छोटी सुरंग 538 मीटर लंबी है

सिक्किम में रेलवे लाइन बिछने के होंगे कई फायदे

  • सिक्किम एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। रेल सेवा शुरू होने से पर्यटकों के लिए राज्य तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा
  • सिक्किम में भूस्खलन आम समस्या है, जिससे सड़क मार्ग कई बार बाधित हो जाता है। ट्रेन सेवा होने से यातायात का दबाव कम होगा और लोगों को वैकल्पिक रास्ता मिलेगा
  • रेलवे आम लोगों के लिए किफायती यात्रा का विकल्प तो है ही, साथ ही, सेना और आवश्यक सामानों की ढुलाई रेल द्वारा तेजी से और आसानी से हो सकेगी
  • ट्रेनें सड़क यातायात की तुलना में कम प्रदूषण करती हैं। इससे सिक्किम के नाजुक पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी

अब तक कितना हुआ काम

सिवोक-रंगपो रेल लाइन पर काफी काम हो चुका है। कुल 14 में से 10 की खुदाई का काम पूरा हो चुका है। इन 10 में से चार में लाइनिंग का काम हो चुका है, जबकि अन्‍य 6 में जारी है। वहीं 13 बड़े पुलों में से 12 के सबस्‍ट्रक्‍चर पूरी तरह तैयार हो चुके हैं। रेलवे के अनुसार, मई 2024 के आखिर से पटरियां बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, इस रेल मार्ग पर बन रहे देश के पहले भूमिगत रेलवे स्‍टेशन तीस्‍ता बाजार का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है।

हालांकि, इस परियोजना को 2009-10 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण और वन विभाग से मंजूरी मिलने में हुई देरी के कारण इसकी प्रगति में देरी हुई, क्योंकि रेल लाइन महानंदा वन्यजीव अभयारण्य, कर्सियांग वन प्रभाग, दार्जिलिंग वन प्रभाग, कलिम्पोंग वन प्रभाग और पूर्वी सिक्किम वन प्रभाग से होकर गुजरती है। मार्च 2020 से सितंबर 2020 और दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 तक कोविड महामारी के कारण परियोजना का कार्य प्रभावित रहा। एक बार इस रेल लाइन के शुरू होने से न केवल सड़क मार्ग पर दबाव कम होगा और लोगों को आसानी होगी, बल्‍क‍ि जैविक इंधन की बचत भी हो सकेगी। इसके अलावा सेना की आवाजाही भी पहले की तुलना में ज्‍यादा सुगम हो सकेगी।