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    NCLT के समक्ष कुल 21,205 मामले लंबित, दिवालिया कानून से जुड़े 12,963 केस हैं दर्ज

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Mon, 13 Mar 2023 09:59 PM (IST)

    एनसीएलटी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 31 जनवरी 2023 तक एनसीएलटी पीठों के पास 21205 मामले लंबित थे। इनमें दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी) के तहत 12963 मामले विलय एवं समामेलन (एम एवं ए) के 1181 मामले और 7061 अन्य मामले शामिल हैं।

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    NCLT के समक्ष कुल 21,205 मामले लंबित (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, पीटीआई। सरकार ने सोमवार को जानकारी दी कि देश में राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष कुल 21,205 मामले लंबित हैं, इनमें से 12,963 मामले दिवालिया कानून से संबंधित हैं। वर्तमान में एनसीएलटी की एक प्रधान पीठ और 15 अन्य पीठ कार्यरत हैं। कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया कि उनके काम के बोझ को कम करने के लिए एनसीएलटी और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) की पीठों को चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया जा रहा है। हालांकि फिलहाल एनसीएलटी और एनसीएलएटी की कोई भी नई पीठ स्थापित करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

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    दिवाला प्रक्रिया से हुई 2.44 लाख करोड़ की उगाही

    एनसीएलटी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 31 जनवरी 2023 तक एनसीएलटी पीठों के पास 21,205 मामले लंबित थे। इनमें दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी) के तहत 12,963 मामले, विलय एवं समामेलन (एम एवं ए) के 1,181 मामले और 7,061 अन्य मामले शामिल हैं। भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि आईबीसी 2016 की शुरुआत के बाद से 31 दिसंबर 2022 तक कुल 6,199 सीआईआरपी शुरू हो चुके हैं। सीआईआरपी का अर्थ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया है।

    31 दिसंबर 2022 तक 611 सीआईआरपी का समाधान

    आईबीबीआई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 31 दिसंबर 2022 तक 611 सीआईआरपी का समाधान हुआ है। इनमें वित्तीय लेनदारों के लिए लगभग 2.44 लाख करोड़ रुपए के मूल्य की उगाही की गई। बता दें व्यवसाय के अनुकूल बनाने में मात्र व्यवसाय शुरू करने में ही नहीं बल्कि व्यवसाय बंद करने में भी पारदर्शिता और तेजी अपेक्षित है। आबीसी 2016 इसी दिशा में कदम है ताकि व्यवसाय के असफल होने पर कंपनी के बंद होने की प्रक्रिया में तेजी आए और लेनदार भी तेजी से अपनी रकम वसूल सकें।

     

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