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राजस्व बढ़ाने के लिए नए आयकरदाताओं की तलाश

राजस्व घाटे के दवाब के बीच खजाना भरने की कोशिश कर रही सरकार आयकरदाताओं का आधार बढ़ाने में जुट गयी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 02 May 2016 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 09:56 PM (IST)
राजस्व बढ़ाने के लिए नए आयकरदाताओं की तलाश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । राजस्व घाटे के दवाब के बीच खजाना भरने की कोशिश कर रही सरकार आयकरदाताओं का आधार बढ़ाने में जुट गयी है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए आयकर विभाग ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को नए करदाताओं की संख्या बढ़ाने को कहा है। विभाग ने इस संबंध में आयकर ने अलग-अलग जोन के लिए नए करदाता जोड़ने के लक्ष्य भी तय किए हैं।

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कर आधार काफी सीमित

सूत्रों ने कहा कि फिलहाल करदाताओं की संख्या लगभग 5.45 करोड़ है जो देश की आबादी 125 करोड़ का मात्र 4.36 प्रतिशत है। देश में कृषि आमदनी आयकर के दायरे से बाहर होने, आयकर से छूट की सीमा अधिक होने तथा कई अन्य प्रकार की कर छूट होने की वजह से करदाताओं का आधार व्यापक नहीं है। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत में आर्थिक गतिविधियों में संलग्न श्रमिकों संख्या अपेक्षाकृत कम है इसलिए आयकरदाताओं की संख्या अन्य देशों की तुलना मंे कम है।

नए करदाताओं का लक्ष्य अधूरा

वित्त मंत्रालय के मुताबिक आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2015-16 में एक करोड़ नए करदाता जोड़ने का लक्ष्य रखा था लेकिन 31 दिसंबर 2015 तक मात्र 49.63 लाख नए करदाता ही जुड़ पाए। सूत्रों का कहना है कि विभाग नए करदाता जोड़ने की मुहिम 2016-17 मंे भी जारी रखेगा।

छोटे कारोबारियों पर नजर

चालू वित्त वर्ष के लिए भी जोन वार सभी क्षेत्रीय कार्यालयांे को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने यहां नए करदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करें। इसके लिए उन लोगों पर जोर दिया जाए जो फिलहाल आय के स्रोत पर टैक्स की कटौती यानी टीडीएस की व्यवस्था से बाहर हैं। साथ ही गैर वेतन भोगी खासकर अपना रोजगार करने वाले छोटे-छोटे कारोबारियों को भी कर के दायरे में लाने पर जोर दिया जाएगा। इसके अलावा आने वाले वर्षो में कर छूट की सीमा बढ़ाने से भी परहेज किया जा सकता है ताकि आय में वृद्धि होने से स्वत: ही लोग कर के दायरे में आएं।

85 फीसद अर्थव्यवस्था टैक्स से बाहर

आर्थिक समीक्षा 2015-16 में भी करदाताओं का आधार बढ़ाने की वकालत की गयी थी। समीक्षा में कहा गया था कि देश की 85 प्रतिशत अर्थव्यवस्था कर के दायरे से बाहर है। अगर करदाताओं का आधार व्यापक बनाया जाता तो सरकार के खजाने में अतिरिक्त 31,500 करोड़ रुपये आ सकते थे।


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