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Economic Survey: कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर आम बजट में होगा जोर

संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग से घरेलू कृषि क्षेत्र और किसानों के दिन बहुर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कृषि निर्यात में अभूतपूर्व 18 फीसद की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। (जागरण- फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 31 Jan 2023 07:30 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 07:30 PM (IST)
Economic Survey: कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर आम बजट में होगा जोर
कृषि उत्पादों का 50 बिलियन डॉलर से अधिक का रिकार्ड निर्यात हुआ है।

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। कृषि व ग्रामीण विकास के रास्ते देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में किए जा रहे उपायों को वित्त वर्ष 20233-24 के आम बजट में और तेज किया जाएगा। संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में किसानों की आमदनी बढ़ाने वाले उपायों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

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खेती में जरूरी इनपुट

कृषि की विकास दर को बनाए रखने के लिए उससे संबद्ध डेयरी, पशुधन, पॉल्ट्री और मत्स्य जैसे क्षेत्रों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। खेती में जरूरी इनपुट बीज, खाद, रियायती ऋण, मशीनीकरण की सुविधा, उपज के लाभकारी मूल्य, बागवानी और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रविधान किया जा सकता है।

निर्यात से बहुरेंगे दिन

संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग से घरेलू कृषि क्षेत्र और किसानों के दिन बहुर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कृषि निर्यात में अभूतपूर्व 18 फीसद की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि उत्पादों का 50 बिलियन डॉलर से अधिक का रिकार्ड निर्यात हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुरूप खेती में फसल विविधीकरण से सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं। एफपीओ को प्रोत्साहन, मशीनीकरण, पीएम-किसान निधि से दी गई नगदी मदद जैसे उपायों से किसानों की आमदनी बढ़ी है। सर्वे रिपोर्ट में इसके लिए कई अध्ययनों का जिक्र किया गया है। इससे आम बजट में इस पर विशेष तरजीह देने के संकेत हैं।

जरूरी सुधार

बीते वर्ष के दौरान खुले बाजार में कृषि उत्पादों की कीमतें निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले ऊपर बोली गईं, जिसका फायदा किसानों को मिला। फसल विविधीकरण में हाई वैल्यू फसलों को प्राथमिकता, बागवानी, पशुधन उत्पादकता, मार्केटिंग सुधार, रियायती ऋण, छोटी जोत वाली खेती के लिए मशीनों के उपयोग पर बल दिया जा सकता है। रिपोर्ट में इन क्षेत्रों पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई है।

सबको फसल बीमा

जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से निपटने के लिए आम बजट में बंदोबस्त किया जा सकता है। बीते वर्षों में खाद्यान्न की पैदावार में कोई कमी नहीं आई है। लेकिन सीमित प्राकृतिक संसाधनों के सहारे उत्पादकता बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। पांच वर्षों के लिए निर्धारित एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इंफ्रा फंड के उपयोग में संतोषजनक प्रगति नहीं हो सकी है। पिछले ढाई वर्षों में मात्र 13,681 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृत की जा सकी है। फसल बीमा में शानदार प्रगति हुई है, जिसमें गैर ऋणी सीमांत व छोटे किसानों की हिस्सेदारी 282 फीसद तक बढ़ी है। इसे जरूरी संशोधनों के साथ बजट में लाया जा सकता है।

बिजली बेचेगा किसान

जलवायु स्मार्ट कृषि प्रणाली में सिंचाई के बाबत स्वच्छ ऊर्जा के स्त्रोतों को किसान आगे बढ़कर स्वीकार कर रहे हैं। खेतों में तैयार सौर ऊर्जा से तैयार बिजली को स्थानीय ग्रिड में भेजकर किसान आमदनी बढ़ा सकता है। इस योजना को और लोकप्रिय बनाने पर जोर होगा।

विकास दर को रफ्तार

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र की उच्च विकास दर को देखते हुए इसे और रफ्तार देने के लिए खास प्रविधान किए जा सकते हैं। इनलैंड फिशरीज के साथ मैरिन प्रोडक्ट्स के निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। विश्व बाजार में भारतीय समुद्री उत्पादों की जबर्दस्त मांग है, जिसका लाभ उठाने की कोशिश की जाएगी। एग्री इंफ्रा फंड के साथ अन्य योजनाओं की मदद से इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।

सहकारिता को संजीवनी

कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों की सहकारी समितियों की सक्रियता से किसानों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। सहकारी क्षेत्र में 'पैक्स से लेकर अपेक्स' तक की कड़ी को मजबूत बनाने के लिए सुधार के उपाय शुरु कर दिए गए हैं। गांव-गिरांव के हाशिए पर पहुंचे निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए आम बजट में संजीवनी जैसे प्रविधान की उम्मीद की जा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसके संकेत भी दिए गए हैं। राष्ट्रीय सहकारी नीति तैयार करने को एक विशेषज्ञ समिति गठित की जा चुकी है।

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