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    अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने की राह हो सकती है मुश्किल, कीमतों में आया जबरदस्‍त उछाल

    By Manish MishraEdited By:
    Updated: Sun, 29 May 2022 08:52 AM (IST)

    सरकार ने पर्यावरण का ख्याल रखते हुए अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी मौजूदा छह प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रख ...और पढ़ें

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    The way to increase the share of gas in the economy may be difficult (PC: pixabay)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस युद्ध ने पूरी दुनिया में जिस तरह से एनर्जी उत्पादों की कीमतों को बढ़ाया है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारियों पर भी झटका लगता दिख रहा है। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमत 22-24 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट) है, जो एक वर्ष पहले 6-7 डॉलर के स्तर पर थी। कई एजेंसियों ने कहा है कि प्रतिबंधों की वजह से रूस पूरी तरह से गैस की आपूर्ति वैश्विक बाजार में नहीं कर सकेगा, जिससे इसकी कीमतें ऊपरी स्तर पर ही बनी रहेंगी। कीमत में चार गुणा वृद्धि की वजह से सरकार ने गैस आयात बढ़ाकर बिजली संयंत्रों को चलाने की योजना बनाई थी, उस पर भी असर पड़ा है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में जल्द गिरावट नहीं हुई तो इसका असर देश की बड़ी आबादी को पाइपलाइन से घरेलू गैस (पीएनजी) देने की योजना पर भी असर हो सकता है।

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    सरकार ने पर्यावरण का ख्याल रखते हुए अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी मौजूदा छह प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा था। पीएम नरेन्द्र मोदी स्वयं इस लक्ष्य का एलान कई बार कर चुके हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को मौजूदा रोजाना गैस खपत तकरीबन 18 करोड़ घन मीटर से बढ़ाकर 55 करोड़ घन मीटर करनी होगी। अभी भी भारत अपनी घरेलू खपत का 45 प्रतिशत गैस ही घरेलू स्तर से हासिल से करता है। यानी 55 प्रतिशत गैस आयात करनी पड़ती है। देश में 25 हजार मेगावाट क्षमता के गैस आधारित बिजली संयंत्र कई वर्षों से तैयार हैं, लेकिन गैस की कमी के कारण बिजली नहीं बना पा रहे है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में चार गुणा वृद्धि से सारी योजना फिलहाल मुश्किल दिखाई पड़ रही है।

    नए तरीके से योजना बनानी होगी

    देश की सरकारी क्षेत्र की गैस कंपनी गेल लिमिटेड के सीएमडी मनोज जैन का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में गैस की हिस्सेदारी लगातार बढ़ेगी लेकिन अभी जिस तरह से कीमतें बढ़ी हैं, उसका कुछ असर भी होगा। हो सकता है कि वर्ष 2030 के लिए जो लक्ष्य रखा गया था, उसे आगे बढ़ाना पड़े। यूक्रेन युद्ध के बाद हालात बदल गए हैं और हमें नई परिस्थितियों के मुताबिक ही योजना बनानी होगी।

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