नए समाधान और ईमानदार व्यापार से किसानों की मदद करने में पतंजलि क्या भूमिका निभा रहा है, जानिए
पतंजलि किसानों को प्राकृतिक और जैविक तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इसमें किसानों को ट्रेनिंग देना जैविक खाद कंपोस्ट और प्राकृतिक कीटनाशकों जैसी चीजें उपलब्ध कराना शामिल है। इससे न केवल किसान पर्यावरण के अनुकूल खेती कर पाते हैं बल्कि केमिकल का उपयोग भी कम होता है।

नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था में खेती हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रही है। करोड़ों किसान अपनी रोज़ी-रोटी के लिए खेती पर निर्भर हैं। लेकिन किसानों के लिए यह रास्ता आसान नहीं है। उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जैसे संसाधनों की कमी, फसल के दामों में उतार-चढ़ाव, आधुनिक खेती की जानकारी की कमी और बिचौलियों द्वारा शोषण। इन सब कारणों से किसान अच्छी जिंदगी नहीं जी पाते। पतंजलि आयुर्वेद लगातार किसानों का समर्थन करता आया है।
यह संस्थान न सिर्फ उपभोक्ताओं की सेहत का ध्यान रखती है, बल्कि किसानों की उन्नति के लिए भी काम करती है, वो भी नए तरीकों और ईमानदार व्यापार के ज़रिए। पतंजलि कोशिश करता है कि ज़्यादा से ज़्यादा काम किसानों के हित को ध्यान में रखकर किया जाये ताकि खेती में पारदर्शिता और टिकाऊपन बना रहे।
किसानों को जैविक और टिकाऊ खेती की ओर प्रेरित करना
पतंजलि की एक बड़ी पहल है- जैविक खेती को बढ़ावा देना। रिसर्चगेट में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक़, पतंजलि किसानों को प्राकृतिक और जैविक तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इसमें किसानों को ट्रेनिंग देना, जैविक खाद, कंपोस्ट, और प्राकृतिक कीटनाशकों जैसी चीजें उपलब्ध कराना शामिल है। इससे न केवल किसान पर्यावरण के अनुकूल खेती कर पाते हैं, बल्कि केमिकल का उपयोग भी कम होता है, जिससे मिट्टी और पर्यावरण दोनों की सेहत सुधरती है।
पतंजलि समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर और जागरूकता कार्यक्रम भी चलाता है, जिनमें फसल चक्र, पानी की बचत, और मिट्टी की देखभाल जैसे विषयों पर जानकारी दी जाती है। इससे किसानों की उपज भी बढ़ती है और पर्यावरण को भी फायदा होता है।
संसाधन और ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराना
कई बार किसान सिर्फ इसलिए पीछे रह जाते हैं क्योंकि उनके पास पर्याप्त संसाधन और सुविधाएं नहीं होतीं। पतंजलि किसानों को बीज, जैविक खाद, और प्राकृतिक कीटनाशक जैसी चीजें सस्ते दामों पर मुहैय्या कराता है जिससे वे आसानी से आर्गेनिक खेती कर सकें। इसके अलावा, खेती के औज़ार और तकनीकी सलाह भी दी जाती है जिससे किसान आत्मनिर्भर बनें और उनकी काम करने की क्षमता बढ़े।
पतंजलि ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है जिससे किसान अपनी फसल सीधे पतंजलि को बेच सकते हैं, बिना किसी बिचौलिए के। इससे किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिल पाता है। यही वजह है कि पतंजलि आज देशभर के किसानों के लिए एक भरोसेमंद साथी बन गया है।
ईमानदार व्यापार और पारदर्शी दाम
बाज़ार में दामों में उतार-चढ़ाव किसानों के लिए एक बड़ी समस्या होती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इनोवेटिव रिसर्च इन इंजीनियरिंग & मैनेजमेंट में प्रकाशित एक रिसर्च ने पतंजलि की प्रभावकारिता का विश्लेषण किया और पाया कि पतंजलि यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले, चाहे बाजार में दाम कुछ भी हों। इसके साथ-साथ, फसल की खरीद की प्रक्रिया भी पारदर्शी होती है ताकि किसान को उसके श्रम का पूरा लाभ मिले। पतंजलि के ये ईमानदार व्यापारिक तरीके किसानों को आर्थिक सुरक्षा और विश्वास देते हैं।
प्रशिक्षण, शिक्षा और क्षमता विकास
पतंजलि मानता है कि ज्ञान ही प्रगति की कुंजी है। इसलिए संस्था किसानों को समय-समय पर तकनीकी प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और खेत में प्रदर्शन (field demos) के माध्यम से नई तकनीकों से रूबरू कराती है।
प्रशिक्षण में शामिल होते हैं:
- मिट्टी की जांच और उपजाऊपन बढ़ाने के तरीके
- बेहतर सिंचाई और जल संरक्षण
- पर्यावरण के अनुकूल कीट नियंत्रण
- पारंपरिक और आधुनिक तरीकों का सही मेल
इनसे किसान अपनी पारंपरिक खेती को आधुनिक जरूरतों के हिसाब से ढाल सकते हैं और बाजार की रेस में बेहतर मुकाबला कर सकते हैं।
निष्कर्ष
पतंजलि का किसानों के प्रति नजरिया सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, यह एक आंदोलन है जो भारतीय खेती को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अपने नए उपायों और न्यायसंगत व्यापारिक नीति के ज़रिए पतंजलि किसानों का सच्चा साथी बन रहा है। यह संस्था इस बात की मिसाल है कि कॉरपोरेट विकास और किसान कल्याण साथ-साथ चल सकते हैं, और मिलकर एक सकारात्मक, टिकाऊ भविष्य बनाया जा सकता है।
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