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    भारत में धड़ाधड़ चुकता हो रहा बैंक लोन, पिछले 10 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा NPA

    By Rammohan MishraEdited By: Rammohan Mishra
    Updated: Wed, 28 Jun 2023 07:02 PM (IST)

    RBI ने कहा कि वैश्विक स्पिलओवर की वजह से जोखिम हाई रिस्क कैटेगरी में बना हुआ है। साथ ही ये भी कहा गया कि आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थिरता में गिरते विश्वास को व्यक्त किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने लिखा कि एफएसआर का आखिरी अंक प्रकाशित होने के बाद से वैश्विक और भारतीय वित्तीय प्रणालियों के विकास के प्रक्षेप पथ बदल गए हैं।

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    The number of NPA accounts at the lowest level in the last 10 years RBI says

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Reserve Bank of India ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के नए अपडेट में बताया कि देश की शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों का नॉन परफॉरमिंग असेट (NPA) अनुपात मार्च 2023 में गिरकर 10 साल के सबसे निचले स्तर यानी 3.9 प्रतिशत पर आ गया है।

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    RBI ने कहा कि वैश्विक स्पिलओवर की वजह से जोखिम हाई रिस्क कैटेगरी में बना हुआ है। साथ ही ये भी कहा गया कि आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थिरता में गिरते विश्वास को व्यक्त किया है। क्या है पूरी खबर, आइए जान लेते हैं।

    ग्रॉस और नेट एनपीए में भारी गिरावट

    भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को जारी की गई वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के नए अपडेट में बताया, "क्रेडिट जोखिम के लिए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि एससीबी अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं और सभी बैंक प्रतिकूल तनाव परिदृश्यों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का पालन करने में सक्षम होंगे।" RBI ने कहा कि मार्च 2018 में सकल और नेट एनपीए अनुपात 11.5 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत के उच्च स्तर से गिरकर मार्च 2023 में क्रमशः 3.9 प्रतिशत और 1.0 प्रतिशत हो गया है।

    आरबीआई ने नोट किया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थों (एनबीएफआई) के कुछ हिस्सों में हाई लीवरेज है, जो प्रणालीगत चिंताएं पैदा करता है। इसको लेकर आरबीआई ने कहा, "ऑफ-बैलेंस शीट फाइनेंशियल लीवरेज के हाई लेवल से संकेत मिलता है कि समग्र सिंथेटिक लीवरेज ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच सकता है।"

    वैश्विक वित्तीय प्रणाली का असर

    आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने लिखा कि एफएसआर का आखिरी अंक प्रकाशित होने के बाद से, वैश्विक और भारतीय वित्तीय प्रणालियों के विकास के प्रक्षेप पथ बदल गए हैं। उन्होने कहा कि मार्च 2023 की शुरुआत से अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग उथल-पुथल से वैश्विक वित्तीय प्रणाली महत्वपूर्ण तनाव से प्रभावित हुई है। इसके विपरीत, भारत में वित्तीय क्षेत्र स्थिर और लचीला रहा है, जैसा कि बैंक ऋण में निरंतर वृद्धि, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के निम्न स्तर और पर्याप्त पूंजी और तरलता बफर में परिलक्षित होता है।

    आरबीआई ने कहा कि मई 2023 में किए गए नवीनतम प्रणालीगत जोखिम सर्वेक्षण के अनुसार, घरेलू प्रणालीगत जोखिम में योगदान करने वाली अधिकांश श्रेणियों में रिस्क कम हो गया है। हालांकि, वैश्विक स्पिलओवर से ये जोखिम हाई रिस्क कैटेगरी में बना हुआ है, आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थिरता में गिरते विश्वास को व्यक्त किया है। इसमें वैश्विक वित्तीय स्थितियों में मजबूती, वैश्विक विकास में मंदी और पूंजी प्रवाह में अस्थिरता को प्रमुख जोखिम बताया गया।

     

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