Banking Fraud: धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा रिजर्व बैंक, नई गाइडलाइंस हो सकती हैं जारी
SC order on Banking Fraud आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और बैंकिंग निगरानी के प्रमुख मुकेश जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप एक कर्जदार को धोखाधड़ी में लिप्त घोषित करने से पहले प्राकृतिक न्याय का पालन करना होगा।
मुंबई, पीटीआई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कर्ज चूककर्ता को धोखाधड़ी करने वाला बताने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए खातों के वर्गीकरण को लेकर जल्द ही संशोधित दिशानिर्देश लेकर आएगा।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और बैंकिंग निगरानी के प्रमुख मुकेश जैन ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा,
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप एक कर्जदार को धोखाधड़ी में लिप्त घोषित करने से पहले प्राकृतिक न्याय का पालन करना होगा।
शीर्ष कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
मुकेश जैन ने कहा कि हालांकि, इस फैसले के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की तरफ से दायर समीक्षा याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि धोखाधड़ी में लिप्त घोषित करने के पहले बैंकों के लिए चूककर्ता को व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर पक्ष रखने का मौका देने की आवश्यकता नहीं है।
हालांकि, स्टेट बैंक ने समीक्षा याचिका के साथ अदालत का रुख किया। दरअसल, स्टेट बैंक यह जानने की मांग की कि क्या 27 मार्च का आदेश केवल संभावित रूप से लागू होता है और पिछले फैसलों को प्रभावित नहीं करता है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 13 मई के अपने फैसले में कहा था कि व्यक्तिगत सुनवाई का मतलब चूककर्ता को अपना पक्ष रखने का समुचित समय देने से है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को ध्यान में रखते हुए आरबीआई चूककर्ता को धोखाधड़ी में लिप्त घोषित करने से संबंधित दिशानिर्देश की संबंधित हितधारकों के साथ समीक्षा कर रहा है और बहुत जल्द नए दिशानिर्देश लाएगा।
हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रिजर्व बैंक से विनियमित होने वाली सभी वित्तीय इकाइयों के ऊपर लागू होता है।