करिश्मा कपूर और बच्चों के लिए कुछ खास करना चाहते थे संजय? कर रहे थे प्लानिंग, संपत्ति विवाद में नया ट्विस्ट
दिवंगत बिजनेसमैन संजय कपूर की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में करिश्मा कपूर के बच्चे समायरा और कियान राज कपूर ने सौतेली माँ प्रिया कपूर (संजय कपूर की तीसरी पत्नी) पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस वर्ष जून में ब्रिटेन में उनके पिता की अचानक मृत्यु के बाद वसीयत में जालसाजी करके उनकी संपत्ति हड़प ली है।

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के पूर्व पति और मशहूर बिजनेसमैन रहे दिवंगत संजय कपूर (Sunjay Kapur Will Case) के 30000 करोड़ के बिजनेस साम्राज्य को लेकर पिछले कुछ दिनों से विवाद चला आ रहा है। अब उत्तराधिकार की इस लड़ाई में एक नया ट्विस्ट आ गया है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट में दायर दस्तावेजों में संजय कपूर और उनकी पूर्व पत्नी, अभिनेत्री करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) के बीच अप्रत्याशित संबंधों का संकेत मिला है।
सीएनएन-टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से जुड़े व्हाट्सएप चैट और रिकॉर्ड के आधार पर दोनों के बीच सक्रिय रूप से व्यक्तिगत बातचीत हुई है, ऐसे में यह पता चलता है कि उनका रिश्ता तलाक के बाद भी काफी घनिष्ठ रहा था।
सबूतों से क्या पता चला?
दरअसल, नए सबूतों से पता चलता है कि संजय कपूर, करिश्मा कपूर और उनके बच्चों को पुर्तगाली नागरिकता हासिल करने में मदद कर रहे थे। इन दस्तावेज़ों में बातचीत का एक हिस्सा भी शामिल है, जिसमें संजय कपूर ने करिश्मा को समझाया था कि विदेशी पासपोर्ट हासिल करने के लिए उन्हें भारतीय नागरिकता छोड़नी होगी, क्योंकि भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है।
बच्चों की याचिका पर नोटिस जारी
उधर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर को करिश्मा कपूर के दो बच्चों की ओर से दायर केस में नोटिस जारी किया है। इसमें संजय कपूर की वसीयत को चुनौती दी गई है और संपत्ति में हिस्सा मांगा है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इस मामले में प्रतिवादियों को समन जारी करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा, अंतरिम राहत पर भी नोटिस जारी किए गए। अदालत ने संजय कपूर की विधवा प्रिया सचदेवा कपूर को मृतक की सभी चल-अचल संपत्तियों की एक विस्तृत सूची प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया। करिश्मा कपूर और उनके बच्चों की ओर से सीनियर वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि प्रिया कपूर ने संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए वसीयत में जालसाजी की थी।
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