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    Sugar Prices: चीनी का बढ़ेगा भाव! गन्ने का उत्पादन घटा, रिकवरी रेट भी न्यूनतम स्तर पर

    परिवहन लागत और मजदूरी के साथ अन्य खर्चे भी बढ़े हैं लेकिन गन्ने से चीनी निकलने की मात्रा घट गई है। इसकी सीधी मार किसानों पर पड़ रही है। चीनी मिल संचालक किसानों के गन्ने को कमतर श्रेणी का बताकर मूल्य घटा रहे हैं। किसान लाचार हैं क्योंकि 11 प्रतिशत तक रिकवरी वाली गन्ने की उन्नत प्रजाति 0238 तेजी से बीमारी की चपेट में आ रही है।

    By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 29 Jan 2025 11:41 AM (IST)
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    चीनी मिल संगठनों का कहना है कि उत्पादन लागत में करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल तक वृद्धि हो गई है।

    अरविंद शर्मा, जागरण नई दिल्ली। प्रतिकूल मौसम एवं बीमारी के चलते गन्ने के उत्पादन में गिरावट के साथ-साथ चीनी की रिकवरी दर में भी कमी देखी जा रही है। इससे चीनी उद्योग की चिंता बढ़ गई है। किसानों का नुकसान तय है। उपभोक्ताओं की जेब पर भी असर पड़ सकता है। रिकवरी का आशय गन्ने से चीनी निकलने की दर से है, जो फसल की गुणवत्ता, मौसम की स्थितियों एवं चीनी मिलों के शुरू होने के समय पर निर्भर करता है।

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    भारत में रिकवरी दर को दस प्रतिशत से ऊपर रहने पर बेहतर माना जाता है, किंतु इस बार कोई राज्य इसके आसपास भी नहीं पहुंचा है। राष्ट्रीय स्तर पर रिकवरी दर 8.81 प्रतिशत है। पिछले वर्ष इसी दौरान यह आंकड़ा 9.37 प्रतिशत था। साफ है इस बार अभी तक गन्ने से 0.56 प्रतिशत कम चीनी की प्राप्ति हो रही है।

    गन्ने की रिकवरी दर (प्रतिशत में)

    राज्य 2024-25  2023-24
    उत्तर प्रदेश 9.05 9.90
    हरियाणा 8.30 9.20
    मध्य प्रदेश 8.50 9.50
    पंजाब 8.30 8.40
    उत्तराखंड  8.70 9.20
    बिहार 9.20 9.20
    महाराष्ट्र 8.80 8.95
    कर्नाटक 8.50 9.60
    तमिलनाडु 8.30 8.90

    स्त्रोत: नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड

    इसे सामान्य भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि पिछले साल चीनी मिलों तक पहुंचने वाले गन्ने से प्रति क्विंटल 9.37 किलोग्राम चीनी निकलती थी। इस बार उतने ही गन्ने से मात्र 8.81 किलो चीनी निकल रही है। जबकि पिछले वर्ष की तुलना में गन्ने की कीमतें बढ़ी हैं। उत्तर प्रदेश में प्रति क्विंटल 20 रुपये की वृद्धि हो चुकी है।

    परिवहन लागत और मजदूरी के साथ अन्य खर्चे भी बढ़े हैं, किंतु गन्ने से चीनी निकलने की मात्रा घट गई है। यह बड़ा संकट है। इसकी सीधी मार किसानों पर पड़ रही है। चीनी मिल संचालक किसानों के गन्ने को कमतर श्रेणी का बताकर मूल्य घटा रहे हैं। किसान लाचार हैं, क्योंकि 11 प्रतिशत तक रिकवरी वाली गन्ने की उन्नत प्रजाति 0238 तेजी से बीमारी की चपेट में आ रही है। इसका कोई विकल्प भी नहीं है।

    12 राज्य गन्ने के प्रमुख उत्पादक

    नेशनल फेडरेशन ऑफ को-आपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे के अनुसार देश में 12 राज्य प्रमुखता से गन्ने का उत्पादन करते हैं। रिकवरी के मामले में इनमें से आठ राज्यों का हाल बुरा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार और तेलंगाना को छोड़कर किसी राज्य में रिकवरी दर नौ प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाई है।

    सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की रिकवरी में 0.85 प्रतिशत की गिरावट है। दूसरा महाराष्ट्र है, जहां 0.15 प्रतिशत की गिरावट है। मध्य प्रदेश और हरियाणा की स्थिति भी अधिक खराब है। यहां रिकवरी दर में लगभग एक प्रतिशत की कमी है।

    चीनी का MSP पांच साल से स्थिर

    चीनी मिल संगठनों का कहना है कि उत्पादन लागत में करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल तक वृद्धि हो गई है, जबकि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) पिछले पांच वर्ष के आंकड़े पर स्थिर है। किसानों के घाटे को देखते हुए अगर गन्ने के परामर्श मूल्य में वृद्धि की गई तो चीनी मिलों का घाटा बढ़ जाएगा।

    इसलिए उनकी मांग चीनी की एमएसपी बढ़ाने की है, लेकिन ऐसा होने पर मिलों और किसानों के नुकसान की भरपाई तो की जा सकती है, मगर उपभोक्ताओं की जेब ढीली हो सकती है।

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