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रचनात्मक बदलावों, होम लोन की बेहद निचली ब्याज दर से बढ़ी है मकानों को बिक्रीः HDFC के चेयरमैन दीपक पारेख

एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा है कि हाल के दिनों में मकानों की बिक्री में बढ़ोतरी किसी संयोग का नतीजा नहीं है। उनका कहना है कि बाजार में कुछ ऐसे बुनियादी बदलाव हुए हैं जिनके चलते मकानों की मांग बढ़ी है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 09:26 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 08:34 AM (IST)
पारेख ने कहा कि हाल के दिनों में हाउसिंग सेक्टर में एक सुखद तेजी देखी गई।

मुंबई, पीटीआइ। संपत्ति के बदले कर्ज देने वाली संस्था एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा है कि हाल के दिनों में मकानों की बिक्री में बढ़ोतरी किसी संयोग का नतीजा नहीं है। उनका कहना है कि बाजार में कुछ ऐसे बुनियादी बदलाव हुए हैं, जिनके चलते मकानों की मांग बढ़ी है और यह मांग अगले कुछ समय तक बरकरार रहने वाली है। प्रॉपर्टी टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़े एक सम्मेलन प्रॉपटेक में वर्चुअल माध्यम से जुड़ते हुए पारेख ने कहा कि होम लोन की बेहद निचली ब्याज दरें और उन पर होने वाले फायदों तथा संपत्तियों के स्थिर दाम के चलते लोग मकान खरीद रहे हैं और हाउसिंग लोन की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है।  

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पारेख ने कहा कि हाल के दिनों में हाउसिंग सेक्टर में एक सुखद तेजी देखी गई। मैं मानता हूं कि यह दबी हुई मांग नहीं, बल्कि यह बुनियादी बदलावों से उभरी मांग थी और कुछ समय तक इसके बने रहने की संभावना है। मकानों की इस बढ़ी मांग में पहली बार फ्लैट-मकान खरीदने वाले ग्राहकों के साथ-साथ वे भी शामिल हैं जो पहले के मुकाबले बड़ा या किसी दूसरे शहर या स्थान में मकान खरीदना चाहते हैं।

पारेख ने कहा कि घर से काम करने का विकल्प मौजूद होने के बाद अब किसी के कार्यस्थल की दूरी को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं है। ऐसे में घर खरीदारों के लिए मकान खरीदते समय शहर या लोकेशन जैसी बाधा नहीं दिख रही है, जो रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छी बात है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर वर्तमान में दुनिया का सबसे कम डिजिटलीकरण वाला उद्योग है। ऐसा अनुमान है कि रियल एस्टेट सेक्टर अपने कुल राजस्व का 1.5 फीसद से भी कम टेक्नोलॉजी पर खर्च करता है। हकीकत यह है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को लेकर सामयिक आंकड़े मुश्किल से ही कभी उपलब्ध होते होंगे।

पारेख का यह भी मानना है कि टेक्नोलॉजी रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही ला सकती है। इससे लागत क्षमता में भी काफी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि आज फिनटेक, हेल्थटेक और एडुटेक को लेकर बहुत बातचीत होती है लेकिन प्रापर्टी के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी यानी प्रापटेक को लेकर बातचीत अभी भी उस स्तर पर नहीं हो रही है।


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