Rules for E-commerce Firms: ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ सख्त नियम की तैयारी, संसद की स्थायी समिति ने खुदरा व्यापारियों से लिए सुझाव
strict rules against e commerce companies सरकार ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ सख्त नियम लाने की तैयारी में है। संसद की स्थायी समिति ने खुदरा व्यापारियों से इस बारे में सुझाव लिए हैं। बता दें कि उद्योग मंत्रालय काफी लंबे समय से ई-कामर्स नीति तैयार कर रहा है...

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ई-कामर्स कंपनियों की ओर से गलत तरीके से बाजार पर नियंत्रण की कोशिशों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठा सकती है। वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति इस मामले में छोटे और खुदरा व्यापारियों से राय ले रही है। प्रस्तावित ई-कामर्स नीति में भी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश को शामिल किया जा सकता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय काफी लंबे समय से ई-कामर्स नीति तैयार कर रहा है, लेकिन अब तक नीति को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
कैट की स्थायी समिति से मांग
- ई-कामर्स प्लेटफार्म पर पंजीकृत विक्रेता किसी भी तरीके से उस ई-कामर्स कंपनी से नहीं जुडा हो
- विक्रेताओं के स्टाक का नियंत्रण भी ई-कामर्स कंपनियों के पास नहीं हो और ई-कामर्स कंपनियों का अपना कोई ब्रांड नहीं हो। बैंक ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर कैश बैक एवं अन्य पेशकश नहीं करें।
- सभी विक्रेताओं की विस्तृत जानकारी ई-कामर्स कंपनी के प्लेटफार्म हो
- सिर्फ ई-कामर्स कंपनियों के प्लेटफार्म ही कोई उत्पाद लांच नहीं किए जाए
बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के छोटे कारोबारी करते रहे हैं शिकायतें
छोटे और खुदरा कारोबारी लगातार बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के कारोबारी तौर-तरीके के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। आफलाइन तरीके से खुदरा कारोबार करने वालों का कहना है कि बड़ी ई-कामर्स कंपनियां विभिन्न प्रकार की छूट देने के साथ प्लेटफार्म पर उपलब्ध कुछ विक्रेताओं को वित्तीय मदद भी करती है जिससे उनकी लागत काफी कम हो जाती है।
कैट की तरफ से रखे गए थे सुझाव
पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की तरफ से सुझाव रखे गए। कैट ने समिति को बताया कि ई-कामर्स कंपनियों को सभी क्रेता और विक्रेता के लिए निष्पक्ष रहने की जरूरत होती है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है। प्लेटफार्म पर उपलब्ध विक्रेताओं को ई-कामर्स कंपनियां सामान बेचने में विभिन्न प्रकार से अपना समर्थन देती हैं। कई विक्रेता कंपनी से जुड़े होते हैं।
ग्राहकों के डाटा के दुरुपयोग की शिकायतें
ई-कामर्स कंपनियां ग्राहकों के डाटा का भी बेजा इस्तेमाल करती हैं। कई बार यह भी देखने में आया है कि ई-कामर्स कंपनियां बाजार में मशहूर किसी मैन्यूफैक्चरर्स के उत्पाद की नकल कर उसे सस्ते में प्लेटफार्म पर बेचने लगती है। ऐसे में उस मैन्यूफैक्चरर्स की पूरी मेहनत खराब हो जाती है। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भी बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के गैर प्रतिस्पर्धी रवैये को लेकर टिप्पणी की है और यह बात उन्होंने संसदीय स्थायी समिति को भी बताई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।