हिंदुस्तान जिंक में विनिवेश पर रोक लगी
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक लि. में सरकार की और हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगा दी है। हिंदुस्तान जिंक का प्रबंधकीय नियंत्रण पहले से ही वेदांता ग्रुप की एक कंपनी के पास है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक लि. में सरकार की और हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगा दी है। हिंदुस्तान जिंक का प्रबंधकीय नियंत्रण पहले से ही वेदांता ग्रुप की एक कंपनी के पास है।
कोर्ट ने सरकार से सवाल किया है कि वह कंपनी में अपनी बेशकीमती 29 फीसद हिस्सेदारी क्यों बेच रही है। यह कंपनी रणनीतिक रूप से अहम खनिजों में कारोबार करती है। मुख्य न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर, न्यायाधीश ए. के. सीकरी और आर. भानुमति की एक पीठ ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक के विनिवेश के मामले में सभी पक्ष मौजूदा स्थिति को बनाए रखें। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह हिंदुस्तान जिंक पर नियंत्रण करने वाली स्टरलाइट वेदांता को निवेश करने से नहीं रोक रही है। उसने सिर्फ कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगाई है।
पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई होने तक वह इस कंपनी में कोई और विनिवेश करने की अनुमति नहीं देगी। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली। वेदांता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने बताया कि निजी क्षेत्र की कंपनी वेदांता ने 14 साल पहले हिंदुस्तान जिंक की बहुमत हिस्सेदारी खरीदी थी। उस समय यह कंपनी घाटे में थी जबकि अब यह फायदे में चल रही है।
हालांकि कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सवाल किया, 'यह बेशकीमती परिसम्पत्ति वेदांता के हाथों में देने की क्या जरूरत है। ऐसा मत कीजिए, विनिवेश मत कीजिए। हम मामले की सुनवाई करेंगे। हम सरकारी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति नहीं देंगे।' पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार हिंदुस्तान जिंक में अपनी बकाया हिस्सेदारी भी बेचने की क्यों इच्छुक है।
नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ऑफीसर्स एसोसिएशन्स ऑफ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जब कंपनी का पहली बार विनिवेश किया गया था, तब भी कानून का उल्लंघन किया गया था। यह बात एक अन्य सार्वजनिक उपक्रम के विनिवेश से संबंधित केस में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ के फैसले से स्पष्ट हुई थी। याचिका में प्रस्तावित विनिवेश को चुनौती देते हुए इस फैसले को अविवेकपूर्ण, अतार्किक, अवैध, गैरवाजिब, एकतरफा और गलत बताया गया है।
पीठ ने इस गड़बड़ी पर ध्यान देते हुए कहा कि आप पहले भी गलती कर चुके हैं। अब हम आपको दुबारा गलती करने की अनुमति नहीं देंगे। पिछले फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि संबंधित कानूनी प्रावधानों में संशोधन किए बगैर विनिवेश करने की अनुमति नहीं है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि विनिवेश की जरूरत क्या है।
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