Stock Market Crash: शेयर बाजार हुआ क्रैश, जानिए क्या है इसकी वजह
भारतीय शेयर मार्केट में मंगलवार को भारी गिरावट दिखी। सेंसेक्स में 800 और निफ्टी में 200 से अधिक अंकों की गिरावट आई है। एशियाई बाजारों में सियोल शंघाई ...और पढ़ें

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार (17 दिसंबर) को भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 800 अंक और निफ्टी 250 अंक तक गिर गए। रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक जैसे ब्लू-चिप शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली।
30 शेयरों वाले ब्लू-चिप पैक में रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, नेस्ले, लार्सन एंड टुब्रो, बजाज फिनसर्व, एचडीएफसी बैंक, जेएसडब्ल्यू स्टील और टाइटन में सबसे अधिक गिरावट दिखी। वहीं, टाटा मोटर्स, अदाणी पोर्ट्स, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और हिंदुस्तान यूनिलीवर हरे निशान में थे। आइए जानते हैं शेयर मार्केट (Share Market) में गिरावट की बड़ी वजहें।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मीटिंग
दुनियाभर के शेयर बाजार अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। भारतीय निवेशक भी इसी के चलते निवेशक एहतियात बरत रहे हैं। बाजार का पहले से ही मानना है कि ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कम होगी। इसलिए अब नजरें फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) की टिप्पणियों पर रहेगी। अगर वह बाजार के अनुकूल कमेंट नहीं करते, तो गिरावट का सिलसिला लंबा हो सकता है।

कच्चे तेल की कीमतों में तेजी
पिछले कुछ दिनों के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में भी तेजी आई है। यह पिछले पांच दिनों में करीब 2 फीसदी बढ़ चुका है। इससे भी निवेशकों की चिंता बढ़ रही है। भू-राजनीतिक तनाव और फेडरल रेट से पहले की अनिश्चितता के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है। ईरान और रूस पर अमेरिका की बंदिशों के चलते क्रूड की सप्लाई भी बाधित होने की अनुमान है। इससे भी कच्चे तेल के दाम में तेजी देखने को मिल रही है।
रुपये पर बढ़ता दबाव
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। यह मंगलवार को 84.92 रुपये के नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया। नवंबर में भारत के व्यापार घाटे में 37.8 बिलियन डॉलर की भारी वृद्धि हुई है। इससे भी रुपये पर दबाव बढ़ने की आशंका है। यह डॉलर के मुकाबले 85 के स्तर पर पहुंच जाएगा। आईटी और फार्मा जैसे एक्सपोर्टर्स को रुपये में गिरावट से लाभ होगा। वहीं आयातकों के लिए आयात लागत बढ़ेगी, जिसका असर उनके शेयर की कीमतों पर असर पड़ेगा।


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