नोट छापने की स्याही से लेकर कागज तक देश में ही बनाने की तैयारी
जल्द ही भारतीय मुद्रा बनाने में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजें देश में बनने लगेंगी
नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। बहुत सारे लोगों को शायद यह मालूम न हो कि जो देश में जो नोट छापे जाते हैं उनसे जुड़ी अधिकांश वस्तुएं विदेशी होती हैं। कागज और स्याही से लेकर उनके सिक्योरिटी थ्रेड तक हमें विदेशों से मंगाना पड़ता है। यही नहीं इन नोटों में इस्तेमाल होने वाले सिक्योरिटी मानक भी विदेशी हैं जिनका इस्तेमाल अनेक देश करते हैं। लेकिन अब आरबीआइ विदेशी तकनीकी, विदेशी स्याही और सुरक्षा मानकों की जगह देसी तकनीक, देसी स्याही और देसी सुरक्षा मानकों का इस्तेमाल करने जा रहा है।
दरअसल, नोटबंदी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक तमाम कोशिशों के बावजूद आम जनता को समय पर और पर्याप्त मात्र में नए नोट नहीं पहुंचा पाया था। करेंसी प्रबंधन के स्तर पर तमाम खामियां सामने आ गई थी जिससे आम जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। अब करेंसी प्रबंधन को पुख्ता बनाने का अभियान शुरू किया गया है। उद्देश्य यह है कि तीन से पांच वर्षो के भीतर नोटों में इस्तेमाल होने वाले कागज से लेकर इनकी स्याही तक के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर हो सके।
करेंसी प्रबंधन आरबीआइ के लिए कितना अहम हो गया है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि बैंक कम से कम तीन तरह की समितियों की रिपोर्टो पर काम कर रहा है। इनमें सबसे अहम यह है कि आने वाले सभी नोटों में इस्तेमाल होने वाले सुरक्षा मानक दूसरे देशों से पूरी तरह अलग हों। इसके लिए पूर्व आरबीआइ डिप्टी गवर्नर आर. गांधी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक कदम उठाये जा रहे हैं।
अभी भारत में नोटों को नक्कालों से बचाने के लिए विकसित देशों में तैयार सुरक्षा मानकों का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें सिक्योरिटी थ्रेड (विशेष धागा), नोट के भीतर उभरी हुई छपाई, चित्र के भीतर चित्र उकेरने की सुविधा होती है। लेकिन दुनिया के तमाम देशों में यही इस्तेमाल होता है। अब आरबीआइ ऐसे मानक विकसित कर रहा है जो दुनिया के अन्य देशों से अलग हों। यह भारतीय करेंसी को और सुरक्षित बनाएगा।
सनद रहे कि आरबीआइ के साथ ही देश की दूसरी सुरक्षा एजेंसियां भी नकली नोटों से परेशान हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरफ से भारत में नकली नोट भेजने की साजिश रची जाती है, इस बात के पुख्ता प्रमाण सुरक्षा एजेंसियों के पास हैं। ताजे आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016-17 में आधिकारिक तौर पर कुल 7,62,072 नकली नोट पकड़े गये हैं। जबकि इसके पिछले वर्ष 6,32,936 नकली नोट पकड़े गये थे। हाल ही में लांच किये गये 500 व 2000 के नकली नोट भी पकड़े जा रहे हैं। नवंबर, 2016 से मार्च, 2017 के बीच 500 रुपये के 199 नकली नोट और 2000 रुपये के 638 नकली नोट पकड़े गये हैं। ऐसे में सरकार के पास यही उपाय है कि पूरी तरह से देसी नोट देश में छापे जाए।