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    कैशलेस की राह में डिजिटल इंडिया का अधूरा ख्वाब आड़े, ट्रांजैक्शन के दौरान मोबाइल नेटवर्क दे रहा है दिक्कत

    By Shubham ShankdharEdited By:
    Updated: Wed, 30 Nov 2016 10:14 AM (IST)

    बैंकों और वॉलेट कंपनियों का सर्वर व्यस्त रहने और मोबाइल नेटवर्क समय पर न आने के चलते लोगों को कैशलेस लेनदेन में दिक्कत हो रही है

    नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह में डिजिटल इंडिया का अधूरा ख्वाब आड़े आ रहा है। बैंकों तथा वॉलेट कंपनियों का सर्वर व्यस्त रहने और मोबाइल नेटवर्क समय पर न आने के चलते लोगों को कैशलेस लेनदेन करने में दिक्कत हो रही है।

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    एचडीएफसी बैंक के वॉलेट ‘चिल्लर’ को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से ‘चिल्लर’ का मोबाइल एप्लीकेशन काम नहीं कर रहा है। उन्होंने जब इस संबंध में एक हफ्ते पहले ‘चिल्लर’ से शिकायत की तो कहा गया कि नए सिक्योरिटी फीचर्स डालने के कारण यह एप्लीकेशन काम नहीं कर रहा है। थोड़े समय में ठीक हो जाएगा। एक हफ्ते बाद भी यह एप्लीकेशन काम नहीं कर रहा है और ‘चिल्लर’ का वही पुराना बहाना बरकरार है।

    कैशलेस ट्रांजैक्शन में दूसरी बड़ी बाधा मोबाइल नेटवर्क की है। दूरसंचार मंत्रालय की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह दुरुस्त नहीं हुआ है। सरकार के सूत्रों ने स्वीकार भी किया कि नोटबंदी से पहले अगर डिजिटल इंडिया का सपना पूरा हो जाता तो अर्थव्यवस्था में नकदी रहित लेनदेन को बढ़ावा देना आसान होता। सूत्रों ने कहा कि आज जिस तरह प्रधानमंत्री कार्यालय तथा विभिन्न मंत्रलयों को अपने कर्मचारियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से वित्तीय लेनदेन करने की पहल करनी पड़ी है, इससे डिजिटल इंडिया की जमीनी हकीकत सामने आ गई है। अगर यह हाल राजधानी दिल्ली में लुटियन जोन में बैठे लोगों का है तो दूरदराज के इलाकों में डिजिटल साक्षरता के स्तर का खुद पता लगाया जा सकता है। अगर डिजिटल साक्षरता का काम समय पर पूरा किया जाता तो आज लोगों को कैशलेस ट्रांजैक्शन पूरा करने में असुविधा नहीं होती। देश में स्मार्टफोन में तो वृद्धि हुई है लेकिन डिजिटल साक्षरता खासकर वित्तीय लेनदेन में डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग को लेकर आबादी का बड़ा हिस्सा जागरूक नहीं है।