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कैग की सनसनी ने खड़ा किया विवाद: सिब्बल

खुली निविदा के जरिये 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी भले ही फ्लॉप रही हो लेकिन सरकार बाकी बचे स्पेक्ट्रम की बिक्री के लिए फिर बाजार में उतरेगी। राजकोषीय घाटे की भरपाई में जुटी सरकार स्पेक्ट्रम की बिक्री को राजस्व जुटाने का एक अच्छा जरिया मान रही है। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान ही स्पेक्ट्रम बेचा जाएगा और वह भ

By Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2012 08:44 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2012 09:16 AM (IST)
कैग की सनसनी ने खड़ा किया विवाद: सिब्बल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खुली निविदा के जरिये 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी भले ही फ्लॉप रही हो लेकिन सरकार बाकी बचे स्पेक्ट्रम की बिक्री के लिए फिर बाजार में उतरेगी। राजकोषीय घाटे की भरपाई में जुटी सरकार स्पेक्ट्रम की बिक्री को राजस्व जुटाने का एक अच्छा जरिया मान रही है। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान ही स्पेक्ट्रम बेचा जाएगा और वह भी कम कीमत पर। वहीं, संचार मंत्री कपिल सिब्बल के मुताबिक अगर कैग की रिपोर्ट को लेकर सनसनीखेज विवाद नहीं खड़ा किया जाता तो आज यह स्थिति नहीं होती।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खाली हुए 2जी स्पेक्ट्रम को बेचने की निविदा प्रक्रिया पिछले बुधवार को खत्म हुई है। इससे सरकार को महज 9407 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है, जबकि उम्मीद 40 हजार करोड़ रुपये की लगाई गई थी। हालांकि, सरकारी खजाने में इससे भी कम राशि करीब दो हजार करोड़ रुपये ही पहुंचेगी क्योंकि ताजा नीलामी में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली तीन कंपनियों की पिछली राशि इसमें से समायोजित होगी। साथ ही लाइसेंस गंवानी वाली कंपनियों को सरकार वर्ष 2008 में चुकाई गई फीस लौटाएगी। इस विफलता का ठीकरा सरकार ने परोक्ष तौर पर कैग की उस रिपोर्ट के मत्थे फोड़ा है जिसमें वर्ष 2007-08 में आवंटित स्पेक्ट्रम से देश को 1.76 लाख करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान लगाया गया था।

संचार मंत्री कपिल सिब्बल के मुताबिक अगर कैग की रिपोर्ट को लेकर सनसनीखेज विवाद नहीं खड़ा किया जाता तो आज यह स्थिति नहीं होती। उन्होंने कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पूछा, 'कहां हैं 1.76 लाख करोड़ रुपये।' सिब्बल ने कैग की रिपोर्ट के बाद 3जी स्पेक्ट्रम के आधार पर 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के फैसले को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सवाल उठाया कि 3जी की कीमत ज्यादा वसूली गई लेकिन फायदा सरकार के अलावा किसी को नहीं हुआ। कई कंपनियां अभी तक 3जी सेवा शुरू नहीं कर पाई हैं। महंगे स्पेक्ट्रम के चलते ग्राहकों को सस्ती सेवा नहीं मिल पा रही है। इस मामले से यही साबित होता है कि नीति तय करने का काम सरकार पर ही छोड़ देना चाहिए।

दरअसल, 2जी स्पेक्ट्रम के खरीदार नहीं मिलने से सरकार को कैग के साथ ही विपक्षी पार्टियों पर भी हमला करने का मौका मिल गया है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को मीडिया पर गठित मंत्रिसमूह की बैठक में भी चर्चा हुई। बैठक के बारे में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी पर गठित मंत्रिसमूह की बैठक जल्द होगी। इसमें मुंबई, दिल्ली जैसे दूरसंचार सर्किलों में दोबारा बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू करने पर फैसला होगा। उन्होंने संकेत दिए कि सरकार 2जी स्पेक्ट्रम के मौजूदा आधार मूल्य (लगभग 14 हजार करोड़ रुपये) को कम करने को तैयार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीडीएमए स्पेक्ट्रम की बिक्री और 6.2 मेगाहटर््ज से ज्यादा स्पेक्ट्रम रखने वाली कंपनियों से अतिरिक्त फीस वसूल कर सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी से 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने का अपना लक्ष्य हासिल कर लेगी।

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