Commodity Derivatives Trading को फिर शुरू करने जा रही SEBI; खत्म होगी किसानों की बड़ी टेंशन! जानें क्या होगा फायदा?
SEBI Commodity Policy वर्तमान में धान (नॉन-बासमती) गेहूं चना सरसों सोयाबीन क्रूड पाम ऑयल और मूंग पर कमोडिटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग बंद है। यह प्रतिबंध 2021 में लगाया गया था और अब मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। वहीं SEBI अब इस ट्रेडिंग को दोबारा शुरू करने की योजना बना रही है। इस कदम से किसान ब्रोकर एक्सचेंज और निवेशक सभी को फायदा होगा।

नई दिल्ली| SEBI Commodity Trading : किसान जब फसल उगाते हैं तो मौसम और मेहनत के साथ-साथ उन्हें सबसे ज्यादा चिंता सताती है- कि आखिर फसल की कीमत क्या मिलेगी? अब उनकी इस चिंता का हल फिर से लौटता दिखाई दे रहा है। दरअसल, सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग (Commodity Derivatives Trading) को फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है। यह पिछले कुछ सालों से बंद थी। इस कदम से किसान, ब्रोकर, एक्सचेंज और निवेशक (Investor Benefits) सभी को फायदा होगा।
SEBI चेयरमैन ने की थी बैठक
सेबी चेयरमैन तुहिन कांता पांडे (Tuhin Kanta Pandey) ने एक जुलाई को कमोडिटी बाजार से जुड़े सभी पक्षों से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन, ब्रोकर, एक्सपर्ट और किसान संगठनों की समस्याओं पर गंभीर चर्चा हुई। SEBI का कहना है कि वह जल्द ही समाधान सुझाने वाले वर्किंग ग्रुप बनाएगा जो समय सीमा के भीतर रिपोर्ट देंगे।
क्यों उठाया यह कदम?
वर्तमान में धान (नॉन-बासमती), गेहूं, चना, सरसों, सोयाबीन, क्रूड पाम ऑयल और मूंग पर ट्रेडिंग बंद है। यह प्रतिबंध 2021 में लगाया गया था और अब मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस रोक से खुदरा महंगाई में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। इससे बाजार की तरलता और गहराई को बड़ा नुकसान हुआ। इसके अलावा, NCDEX और MCX जैसे कमोडिटी एक्सचेंजों में ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी गिरावट देखी गई, जिससे ब्रोकर, ट्रेडर्स और निवेशक प्रभावित हुए। साथ ही, छोटे किसानों और FPOs के लिए फॉरवर्ड ट्रेडिंग एक बेहतर विकल्प था, जिससे वे फसल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से खुद को बचा सकते थे।
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किसे होगा फायदा?
1. किसान और फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन : उन्हें बाजार जोखिम से बचाव का विकल्प मिलेगा। वे अपने उत्पादों के बेहतर मूल्य तय कर सकेंगे।
2. ब्रोकर और एक्सचेंज : ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ने से राजस्व में वृद्धि होगी। बाजार की लिक्विडिटी और गहराई वापस आएगी।
3. निवेशक और बड़ी संस्थाएं : कृषि क्षेत्र में जोखिम प्रबंधन और निवेश के नए अवसर खुलेंगे। FPIs को भी डेरिवेटिव्स में भागीदारी की अनुमति देने पर विचार हो रहा है।
सेबी की रणनीति क्या है?
सेबी का यह प्रयास कृषि बाजार को पुनर्जीवित करने की दिशा में अहम कदम है। इससे किसानों को जोखिम से सुरक्षा, एक्सचेंज को व्यापार और निवेशकों को नए अवसर मिलेंगे। यदि यह योजना ठीक से लागू होती है, तो यह भारतीय कृषि क्षेत्र और पूंजी बाजार-दोनों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। इसके लिए SEBI ने खास रणनीति अपनाई है:
- दो वर्किंग ग्रुप्स बनाए जाएंगे। एक का फोकस मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर और दूसरे का किसानों पर होगा।
- SEBI यह भी देखेगा कि किस उत्पाद में ट्रेडिंग फिर से शुरू की जा सकती है।
- इस योजना में FPOs को अधिक जोड़ा जाएगा ताकि ग्रामीण भारत की भागीदारी सुनिश्चित हो।
ट्रेडिंग के लिए 104 वस्तुओं को मंजूरी
NCRA नियमों के मुताबिक, सरकार और SEBI ने डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के लिए 104 वस्तुओं को मंजूरी दी है। इनमें से 29 अनाज, दालें और तेल से संबंधित उत्पाद, 13 मसाले, 12 धातु, 10 ऊर्जा से जुड़े उत्पाद, 4 कीमती धातु और 3-3 फल और डेयरी-पोल्ट्री के उत्पाद शामिल हैं। बाकी उत्पादों में अन्य रासायनिक, कृषि और बागान से संबंधित वस्तुएं हैं। सरकार और नियामक के प्रोत्साहन के बावजूद बहुत कम नए उत्पाद लॉन्च हुए हैं। सबसे हालिया उत्पाद बिजली फ्यूचर्स है, जिसे एक्सचेंज शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
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