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    FY25 की तीसरी तिमाही में Repo Rate में कटौती की उम्मीद, RBI के सामने चुनौती होगी नकदी प्रबंधन : SBI Research

    RBI MPC MEET 2024 वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक (RBI MPC MEET 2024) कल से शुरू हो गई है। शुक्रवार को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर बैठक में लिए गए फैसलों का एलान करेंगे। SBI ने अपने रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में रेपो रेट में कटौती कर सकता है।

    By Agency Edited By: Priyanka Kumari Updated: Thu, 06 Jun 2024 01:21 PM (IST)
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    FY25 की तीसरी तिमाही में कटौती की उम्मीद

    एएनआई, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक (RBI MPC MEET 2024) कल से शुरू हो गई है। शुक्रवार को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर बैठक में लिए गए फैसलों का एलान करेंगे।

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    आरबीआई की एमपीसी बैठक में रेपो रेट समेत कई अहम फैसले लिए जाएंगे। आरबीआई की एमपीसी बैठक से पहले एसबीआई ने रिसर्च रिपोर्ट पेश किया।

    एसबीआई ने अपने रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में रेपो रेट में कटौती कर सकता है। एसबीआई के रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक दर कार्रवाई आम तौर पर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को प्रतिबिंबित करती है।

    एसबीआई रिसर्च का सुझाव है कि केंद्रीय बैंक को इस एमपीसी बैठक में अपने दृष्टिकोण को जारी रखना चाहिए।

    एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि बाकी देशों में दर की कटौती के बाद आरबीआई द्वारा कटौती की जा सकती है। आरबीआई के लिए लिक्विडी मैनेजमेंट एक गंभीर चिंता बनी है।

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    इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2015 में पूंजी प्रवाह की संभावना आरबीआई तरलता प्रबंधन के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। एसबीआई रिसर्च की सिफारिश है कि इस समस्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए अस्थायी तरलता इंजेक्शन को अस्थायी तरलता निकासी के स्थान पर लेना चाहिए।

    एसबीआई रिसर्च के अनुसार नियामक दक्षता के मामले में आरबीआई मुद्रास्फीति के प्रबंधन में शीर्ष तीन नियामकों में से एक है।

    एसबीआई शोध विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए 7.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना संभव लगता है, जबकि औसत मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2024 में बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन सराहनीय रहा है, 17 मई 2024 तक ऋण वृद्धि 19.5 प्रतिशत पर मजबूत रही, जबकि पिछले वर्ष की वृद्धि 15.4 प्रतिशत थी।

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