Sahara Refund: सहारा की संपत्ति अदाणी को मिलेगी या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से क्या कहा? आया बड़ा अपडेट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से सहारा समूह की संपत्तियों (Sahara Property) को अदाणी समूह (Adani Group) को हस्तांतरित करने की संभावना पर जवाब मांगा है। कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि निवेशकों के हितों की रक्षा हो और उन्हें उनका पैसा वापस मिले। कोर्ट इस मामले में तेजी से कार्रवाई कर रहा है। अगली सुनवाई कितने हफ्तो बाद होगी आइए जानते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सहारा समूह की उस याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए टाल दी है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सहारा समूह की याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए टाल दी, जिसमें अदाणी समूह को संपत्ति बेचने की अनुमति मांगी गई थी। कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे पर न्यायमित्र (Amicus Curiae) के प्रस्तुत नोट पर भी जवाब दाखिल करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने इस मामले में सहकारिता मंत्रालय को पक्षकार बनाया। इससे पहले केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सहारा समूह ने कई सहकारी समितियां बनाई हैं, जो प्रभावित हो सकती हैं।
इस मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने कोर्ट को एक नोट सौंपते हुए कहा कि उन्हें सहारा समूह द्वारा बेची जाने वाली संपत्तियों के संबंध में बहुत सारी आपत्तियां मिली हैं और विशेष रूप से उन्होंने 34 संपत्तियों के संबंध में आपत्तियां दर्ज कराई हैं।
जाली दस्तावेजों के आधार पर बेची या पट्टे पर दी गईं
सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह न्यायमित्र के प्रस्तुत नोट पर प्रतिक्रिया दाखिल करना चाहेंगे और इस बात पर जोर दिया कि बहुत सारी संपत्तियां जाली दस्तावेजों के आधार पर बेची या पट्टे पर दी गईं।
पीठ ने कहा कि बिक्री या पट्टे के दस्तावेजों पर गौर करने के लिए यह उपयुक्त मंच नहीं है और ट्रायल कोर्ट या नियुक्त एक विशिष्ट समिति ही इन दस्तावेजों पर गौर कर सकती है।
सीजेआई गवई ने नफड़े से कहा, "भारत संघ को अपना जवाब दाखिल करने दीजिए और फिर हम उन मुद्दों पर गौर करेंगे।"
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की और केंद्र से सहारा कंपनी की याचिका के साथ-साथ न्यायमित्र के नोट पर भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
14 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड की याचिका पर केंद्र, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य हितधारकों से जवाब मांगा था, जिसमें उसने अपनी 88 प्रमुख संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी थी।

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