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    S&P ग्लोबल ने बदली भारतीय जीडीपी ग्रोथ की रेटिंग, इकोनॉमी के आउटलुक को स्थिर से पॉजिटिव किया

    Updated: Wed, 29 May 2024 08:42 PM (IST)

    रेटिंग एजेंसी SP ने इंडियन इकोनॉमी ग्रोथ की रेटिंग को अपग्रेड किया है। इस बार रेटिंग फर्म ने इसे स्थिर से बदलकर पॉजिटिव कर दिया है। SP के अनुसार भारत की मजबूत इकोनॉमी ग्रोथ ने क्रेडिट मेट्रिक्स पर पॉजिटिव रिस्पांस डाला है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत की मजबूत इकोनॉमी ग्रोथ ने क्रेडिट मेट्रिक्स पर पॉजिटिव रिस्पांस डाला है।

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    S&P ग्लोबल ने बदली भारतीय जीडीपी ग्रोथ की रेटिंग

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर (एसएंडपी) अगले दो वर्षों में भारत की रेटिंग को बेहतर कर सकती है। इस बात के संकेत एसएंडपी ने बुधवार को भारत की आर्थिक स्थिति पर जारी एक विस्तृत रिपोर्ट में दिए हैं। एसएंडपी ने एक तरह से पीएम नरेन्द्र मोदी के दस वर्षों के कार्यकाल के दौरान लागू आर्थिक नीतियों को अपना समर्थन दिया है। इस दौरान सरकारी खर्चे में कमी करने, राजकोषीय घाटे को काबू में लाने और आर्थिक सुधारों को जारी रखने की तारीफ की है और इसके आधार पर ही भारतीय इकोनॉमी को सकारात्मक (पॉजिटिव) की श्रेणी में रखा है जिसे अभी तक स्थिर रखा था।

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    14 साल के बाद स्‍थ‍िर से पॉजिटिव हुई रेटिंग

    आम चुनाव के परिणाम आने से ठीक पहले दुनिया की एक प्रमुख आर्थिक शोध एजेंसी की यह रिपोर्ट विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी एजेंसियों की भारत संबंधी रिपोर्ट को ही आगे बढ़ाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था और राजग सरकार के कार्यकाल के आर्थिक प्रबंधन की पूरी तारीफ करने के बावजूद एसएंडपी ने दीर्घकालिक स्‍तर पर भारत की रेटिंग को बीबीबी (-निगेटिव) ही रखा है जो निवेश के लिहाज से सबसे खराब रेटिंग है। हालांकि 14 वर्षों बाद रेटिंग आउटलुक को स्थिर से पॉजिटिव किया गया है। एसएंडपी ने कहा है कि “अगर सरकार पर बढ़े कर्ज के दबाव को कम करने और ब्याज के बोझ को घटाने के साथ ही आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया जाता है तो भारत की रेटिंग भी अगले 24 महीनों में बेहतर की जा सकती है।''

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    देश की रेटिंग से निवेशकों के बीच बनती है साख

    अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच किसी भी देश की रेटिंग की उसकी साख होती है। रेटिंग के आधार पर ही किसी देश में निवेश करने के जोखिम या अवसरों का अंदाजा मिलता है। बेहतर रेटिंग का मतलब होता है कि वहां होने वाले निवेश सुरक्षित हैं। सभी विदेशी निवेशक इसके आधार पर अपना निवेश फैसला करते हैं। यही नहीं बेहतर रेटिंग होने पर भारत सरकार को विदेशों से सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकता है। वर्ष 2010 में एसएंडपी ने भारत की रेटिंग आउटलुक को नकारात्मक से स्थिर किया था।

    इस आधार पर बदला एसएंडपी का दृष्टिकोण

    एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, “भारत को लेकर उसकी सकारात्मक दृष्टिकोण यहां की तेज आर्थिक विकास दर, सरकार के खर्चे की गुणवत्ता में सुधार करने और राजकोषीय घाटे को काबू में करने को लेकर सरकार के मंसूबे को देखते हुए बनाया है।'' एसएंडपी ने केंद्र व राज्यों का संयुक्त तौर पर घाटा 7.9 फीसद रहने की बात कही है और वर्ष 2028 तक इसके घट कर 6.8 फीसद पर आने की उम्मीद जताई है।

    चुनाव के परिणाम से सुधारों पर नहीं पड़ेगा फर्क

    रिपोर्ट में कहा गया है कि, आम चुनाव का जून, 2024 में चाहे जो भी परिणाम हो, आगामी सरकार विकास की गति को तेज करने के लिए सुधारों को जारी रखेगी, ढांचागत क्षेत्र में निवेश को जारी रखा जाएगा और राजकोषीय संतुलन को कायम रखा जाएगा। कुछ अर्थविदों ने हाल ही में आरबीआई की तरफ से 2.11 लाख करोड़ रुपये की लाभांश राशि केंद्र सरकार को हस्तांतरित करने और जीएसटी संग्रह में लगातार तेजी को भी कारण बताया है जिससे एसएंडपी का दृष्टिकोण बदला है। माना जा रहा है कि वर्ष 2024-25 में भारत का राजकोषीय घाटा 5.1 फीसद या इससे भी नीचे हो सकता है।

    आगे रेटिंग में सुधार इस बात पर भी निर्भर करेगा कि केंद्र सरकर पर कर्ज के बोझ को घटाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। साथ ही आरबीआई की मौद्रिक नीति महंगाई को थामने में कितनी कारगर साबित होती है। सनद रहे कि राजकोषीय घाटे को काबू में नहीं करने की वजह से भी दुनिया की विख्यात रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग को बेहतर नहीं कर पाती हैं।

    एसएंडपी के अलावा फिच और मूडीज की तरफ से भी निवेश के लिहाज से भारत को सबसे खराब रेटिंग दी हुई है। मूडीज ने अप्रैल, 2024 में ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट में भारत की रेटिंग आउटलुक को पॉजिटिवि रखा लेकिन रेटिंग को नहीं बदला। उसने राजकोषीय घाटे को काबू में करने की भारत की क्षमताओं पर भी सवाल उठाया था।

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