चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में आ सकता है पांच फीसद का संकुचन, लंबे समय तक रहेगा लॉकडाउन का प्रभाव: S&P
SP Global Ratings से पहले फिच और क्रिसिल जैसी रेटिंग एजेंसियां भी मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पांच फीसद के संकुचन का पूर्वानुमान लगा चुकी हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए लगाया गया देशव्यापी लॉकडाउन देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत भारी पड़ा है। लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में औद्योगिक गतिविधियों के प्रतिबंधित रहने के कारण देश की जीडीपी पर बड़ा असर पड़ा है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने अपनी रिपोर्ट में यही बात कही है। एसएंडपी ने गुरुवार को बताया कि लॉकडाउन के प्रभावों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में पांच फीसद का संकुचन आ सकता है।
एसएंडपी ने एक बयान में कहा, 'चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ के अपने पूर्वानुमान को हमने घटाकर नेगेटिव पांच फीसद कर दिया है। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि तीसरी तिमाही में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप चरम पर होगा।' गौरतलब है कि इससे पहले फिच और क्रिसिल जैसी रेटिंग एजेंसियां भी मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पांच फीसद के संकुचन का पूर्वानुमान लगा चुकी हैं।
रेटिंग एजेंसी ने अपने बयान में आगे कहा, 'भारत में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और इसको फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गईं और इकोनॉमी में अचानक से रुकावट आई है। इसके फलस्वरूप चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ के तेजी से गिरने की आशंका है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के प्रभाव के कारण आर्थिक गतिविधियों को एक साल तक रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है।'
एसएंडपी ने आगे कहा, 'हमारा मानना है कि देश के रेड जोन्स में अभी आर्थिक गतिविधियों को सामान्य होने में अधिक समय लगेगा। इससे चलते पूरे देश में सप्लाई चेन प्रभावित होगी और रिकवरी की दर गिर जाएगी। एजेंसी का मानना है कि इस दौरान देशभर में आर्थिक बहाली की स्थिति भिन्न-भिन्न रहेगी।' एसएंडपी ने कहा कि देश में सर्विस सेक्टर बुरी तरह प्रभावित है, जो सबसे अधिक रोजगार देता है। एजेंसी ने बताया कि लॉकडाउन के चलते मजदूर विस्थापित हो गए हैं और उन्हें इस विकट समय से उबरने में समय लगेगा।