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    इस सप्ताह शेयर बाजार पर इन फैक्टर्स का रहेगा असर, ये है एक्सपर्ट्स की राय

    By Lakshya KumarEdited By:
    Updated: Mon, 14 Mar 2022 07:21 AM (IST)

    Crucial Factors For Share Market बीते सप्ताह उतार-चढ़ाव जारी रहने के बीच शेयर बाजार बढ़त हासिल करने में कामयाब रहा। सेंसेक्स 1216.49 अंक या 2.23 प्रतिशत बढ़ा जबकि निफ्टी में 385.10 अंक या 2.37 प्रतिशत का उछला देखा गया। जानें इस सप्ताह क्या फैक्टर्स बाजार पर असर डालेंगे।

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    इस सप्ताह शेयर बाजार पर इन फैक्टर्स का रहेगा असर, ये है एक्सपर्ट्स की राय

    नई दिल्ली, पीटीआइ। विश्लेषकों का कहना है कि इस सप्ताह बाजार में रूस-यूक्रेन संघर्ष, यूएस फेड ब्याज दर निर्णय और घरेलू मुद्रास्फीति के आंकड़े का असर देखने को मिलेगा। बाजार के जानकारों का मानना ​​है कि मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों के कम होने तक शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बने रहने की संभावना है। गौरतलब है कि बीते काफी दिनों से बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है। हालांकि, इसके बीच पिछले सप्ताह बाजार बढ़त हासिल करने में कामयाब रहा है। पिछले हफ्ते सेंसेक्स 1,216.49 अंक या 2.23 फीसदी उछला, जबकि निफ्टी 385.10 अंक या 2.37 फीसदी चढ़ा।

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    संतोष मीणा, शोध प्रमुख, स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड ने कहा, "एफओएमसी बैठक और रूस-यूक्रेन मामला इस सप्ताह प्रमुख वैश्विक कारक होंगे। रूस-यूक्रेन मामले पर अभी भी अनिश्चितताएं हैं जबकि 16 मार्च को महत्वपूर्ण एफओएमसी (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) की बैठक का परिणाम आना है।" उन्होंने कहा, "इन सब के बीच कच्चे तेल की कीमतें और FIIs का व्यवहार भी भारतीय बाजार के लिए महत्वपूर्ण कारक होंगे।"

    उन्होंने कहा, "घरेलू मोर्चे पर, मुद्रास्फीति के आंकड़े कारक बनेंगे, जिनकी घोषणा 14 मार्च को की जाएगी।" वहीं, अजीत मिश्रा, वीपी रिसर्च, रेलिगेयर ब्रोकिंग ने कहा, "इस सप्ताह प्रतिभागी सबसे पहले सोमवार को आईआईपी डेटा पर प्रतिक्रिया देंगे। इसी दिन सीपीआई मुद्रास्फीति और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति आंकड़े भी आने हैं। महत्वपूर्ण घटनाओं में 16 मार्च को यूएस फेड नीति बैठक के परिणाम पर भी बारीकी से नजर रखी जाएगी।"

    सिद्धार्थ खेमका, हेड-रिटेल रिसर्च, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड ने कहा, "इक्विटी बाजार निकट अवधि में महत्वपूर्ण पहलुओं पर आगे बढ़ेंगे, जो रूस-यूक्रेन भू-राजनीतिक संघर्ष, यूएस फेड रेट में बढ़ोतरी, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और अर्थव्यवस्था में बढ़ते मुद्रास्फीति दबाव पर आरबीआई की प्रतिक्रिया हैं। हम उम्मीद करते हैं कि बाजार तब तक अस्थिर रहेगा जब तक मौजूदा हेडविंड्स कम नहीं हो जाते।" रुपये की चाल, ब्रेंट क्रूड और विदेशी संस्थागत निवेशक भी इक्विटी बाजार के लिए महत्वपूर्ण होंगे।