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    Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले क्यों कमजोर हुआ रुपया, क्या कर रहा है आरबीआई?

    Updated: Mon, 11 Nov 2024 02:37 PM (IST)

    पिछले काफी समय से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखने को मिल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद रुपये में और भी ज्यादा गिरावट आने की आशंका जताई जा रही है। इससे आरबीआई पर भी जल्द कारगर कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है। आइए जानते हैं रुपये में गिरावट की वजह।

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    अमेरिकी चुनाव और लगातार विदेशी फंड की निकासी के बीच रुपया काफी समय से दबाव में है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। सोमवार को शुरुआती कारोबार में यह 1 पैसा गिरकर 84.38 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया। यह इसका अब तक सबसे निचला स्तर है।

    क्यों गिर रहा है रुपया

    करेंसी मार्केट के जानकारों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और इक्विटी मार्केट की सुस्ती के चलते रुपये में कमजोरी आ रही है। उनका कहना है कि जब तक डॉलर सूचकांक में नरमी नहीं आती या विदेशी फंड अपनी निकासी कम नहीं करते, रुपया दबाव में बना रहेगा।

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    रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे गिरकर 84.37 के नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया था। इसमें लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज की गई थी।

    मध्यम अवधि में रुपया 83.80 से 84.50 के दायरे में कारोबार करेगा, क्योंकि रिजर्व बैंक अपने पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार होने के कारण रुपये की गिरावट पर अंकुश लगा सकता है।

    अमित पाबारी, सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर

    कब से दबाव में है रुपया

    अमेरिकी चुनाव और लगातार विदेशी फंड की निकासी के बीच रुपया काफी समय से दबाव में है। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में करीब 12 बिलियन डॉलर की इक्विटी बिकवाली की थी। यह सिलसिला नवंबर भी में भी जारी है। उन्होंने नवंबर के शुरुआती 10 दिनों में ही करीब 1.6 बिलियन डॉलर की निकासी कर ली है।

    सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित पाबारी का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार मूल्यांकन काफी अधिक है। साथ ही, कंपनियों के तिमाही नतीजे काफी कमजोर आ रहे हैं, जो ऊंचे वैल्यूएशन को सपोर्ट नहीं करते।

    विदेशी निवेशकों ने कितनी निकासी की

    शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को 3,404.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विदेशी निवेशकों ने सितंबर 2024 में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन, उन्होंने अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। यह उनकी अब तक की सबसे अधिक बिकवाली थी।

    अगर नवंबर की बात करें, तो विदेशी निवेशकों ने पिछले पांच कारोबारी सत्रों में ही 20 हजार करोड़ रुपये की निकासी की है। एक्सपर्ट के मुताबिक, विदेशी निवेशकों की बिकवाली आगे भी जारी रह सकती है। ऐसे में रुपये और शेयर मार्केट में अस्थिरता का दौर बना रहेगा।

    विदेशी मुद्रा भंडार में भी आई गिरावट

    आरबीआई ने शुक्रवार को बताया था कि कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक नवंबर को खत्म सप्ताह में 2.675 अरब डॉलर घटकर 682.13 अरब डॉलर रह गया। पिछले सप्ताह कुल मुद्रा भंडार 3.463 अरब डॉलर घटकर 684.805 अरब डॉलर रह गया था। सितंबर के अंत में मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

    हालांकि, रुपये में कमजोरी के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। ऐसे में आरबीआई पर भी रुपये में गिरावट रोकने के लिए कदम उठाने का दबाव बढ़ रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि आरबीआई चीनी करेंसी युआन के मुकाबले रुपये को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के वैल्यू में गिरावट की रणनीति बना सकता है।

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