Jagran Explainer : रुपये के गिरने से आपकी सेहत पर क्या पड़ेगा फर्क, जानें डिटेल में
रुपये के कमजोर होने पर भारत को महंगे कीमत में क्रूड ऑयल को आयात करना पड़ता है जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का अंदेशा रहता है। अगर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो देश में सब्जी दाल से लेकर हर चीज महंगी हो जाती है।
नई दिल्ली, सौरभ वर्मा। रुपये में गिरावट का दौर जारी है। हर गुजरते दिन के साथ रुपया गिरावट का नया स्तर छू रहा है। लेकिन रुपये के गिरने की वजह से आम लोगों पर क्या फर्क पडे़गा। क्या यह चिंता की वजह है या रुपये गिरना फायदेमंद है? आखिर कौन रुपये की हालात को निर्धारित करता है? इस बारे में हम जानेंगे विस्तार से...
रुपये की कमजोरी से आम लोगों की सेहत पर क्या होगा असर
एसबीआई की पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री वृंदा जागीरदार ने दैनिक जारगण को बताया कि रुपये की सेहत का सीधा संबंध आम आदमी से होता है। अगर रुपये की कीमत गिरती है, तो विदेशों से सामान मंगाना महंगा हो जाता है। इसका सटीक उदाहरण, क्रूड ऑयल का आयात है। भारत दुनिया का बड़ा तेल आयातक देश है। ऐसे में अगर रुपये कमजोर होता है, तो भारत को ज्यादा रुपयों मे तेल खरीदना पड़ता है, क्योंकि ईरान को छोड़ दें, तो आमतौर पर भारत क्रूड ऑयल की खरीद डॉलर में करता है। ऐसे में रुपये के कमजोर होने पर भारत को महंगे कीमत में क्रूड ऑयल को आयात करना पड़ता है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने का अंदेशा रहता है। अगर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं, तो देश में सब्जी, दाल से लेकर हर चीज महंगी हो जाती है।
अर्थव्यवस्था पर क्या होता है असर
रुपये की गिरने से सरकार को विदेशों से किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होते हैं। जिससे भारत का घाटा बढ़ जाता है। साथ ही विदेशी मुद्रा के भंडार में कमी होती है। अगर आप ज्यादा संख्या में चीजों को आयात करते हैं और कम निर्यात करते हैं, तो रुपये के कमजोर होने से एक देश के तौर पर आपको नुकसान उठाना पड़ता है। इसे नुकसान की भरपाई के लिए आपको कर्ज लेना पड़ता है, जो देश की अर्थव्यवस्था के कमजोर होने की निशानी है।
किसे फायदा किसे नुकसान
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव का गंभीर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर डॉलर के मुकाबले रुपये का एक्सचेंज रेट कमजोर हो रहा है यानी रुपये की कीमत गिर रही है तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और निर्यातकों को जो डॉलर प्राप्त होंगे उसके बदले यहां उन्हें अधिक रुपये मिलेंगे। हालांकि जो आयातक हैं, उन्हें कोई वस्तु आयात करने के लिए अधिक राशि का भुगताना करना पड़ेगा। दूसरी ओर अगर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है, तो इससे आयातकों को लाभ होगा।
क्या होता है एक्सचेंज रेट
जिस मूल्य (दर) पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा से बदली जाती है उसे ‘एक्सचेंज रेट’ कहते हैं। किसी भी देश की करेंसी का मूल्य बाजार में उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जैसे एक सामान्य व्यापारी सामान की खरीद-फरोख्त करता है, वैसे ही फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय होता है। एक्सचेंज रेट दो प्रकार के हो सकते हैं- स्पॉट रेट यानी आज के दिन विदेशी मुद्रा का मूल्य और फॉरवर्ड रेट यानी भविष्य में किसी तारीख के लिए एक्सचेंज रेट।