बेकाबू होते आर्थिक हालात
डॉलर के मुकाबले कीमत में गिरावट की सभी सीमाएं तोड़ता हुआ बुधवार को रुपया 70 के दरवाजे पर पहुंच गया। एक ही दिन में रुपये की कीमत में 256 पैसे की गिरावट ने देश को गहरे आर्थिक संकट की तरफ ढकेल दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डॉलर के मुकाबले कीमत में गिरावट की सभी सीमाएं तोड़ता हुआ बुधवार को रुपया 70 के दरवाजे पर पहुंच गया। एक ही दिन में रुपये की कीमत में 256 पैसे की गिरावट ने देश को गहरे आर्थिक संकट की तरफ ढकेल दिया है। भारतीय मुद्रा में यह 18 साल बाद सबसे बड़ी कमजोरी है। वित्तीय बाजारों में मचे कोहराम के बीच रुपया 68.85 के नए रिकॉर्ड तक पहुंच 68.81 पर बंद हुआ। इसकी तपिश शेयर और सराफा बाजार में भी महसूस की गई। इसके चलते जहां शेयर बाजार भारी उठापटक का शिकार हुआ, वहीं सोना 34 हजार 500 रुपये प्रति दस ग्राम की नई ऊंचाई को छू गया।
डॉलर के मुकाबले रुपये की इस तेज गिरावट ने चालू खाते के घाटे की चिंताओं को बढ़ाते हुए देश को गहरे आर्थिक संकट की तरफ ढकेलने के संकेत दे दिए हैं। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, सीरिया की तरफ बढ़ते युद्ध के बादल, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के साथ साथ घरेलू अर्थव्यवस्था में डॉलर की बढ़ती मांग ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। एक ही दिन में 67 और 68 के दो स्तरों को पार कर डॉलर की कीमत 70 रुपये के नजदीक जा पहुंची है।
पिछले तीन कारोबारी सत्रों में एक डॉलर की कीमत में 5.60 रुपये का उछाल आ चुका है। अकेले अगस्त में अब तक डॉलर की कीमत 8.40 रुपये तक बढ़ चुकी है। जबकि, एक साल में रुपये की कीमत में 25 फीसद से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। रुपये में तेज गिरावट के चलते बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स एक समय 500 अंक तक लुढ़क गया। सोना भी नए रिकॉर्ड बनाता हुआ एक दिन में 1900 रुपये उछल गया। पीली धातु में एक दिन में आई यह सबसे ज्यादा तेजी है।
विकल्पहीनता की स्थिति
मुद्रा बाजार की मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास विकल्प भी समाप्त हो रहे हैं। डॉलर की कमी अब इसकी कीमत को 70 से 72 रुपये तक जाने के संकेत दे रही है। रुपये की स्थिति को देखते हुए डॉलर की उपलब्धता बाजार में पूरी तरह सीमित हो गई है। जानकारों का मानना है कि कॉरपोरेट तक डॉलर बेचने को तैयार नहीं हैं। केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही डॉलर की थोड़ी बहुत सप्लाई कर पा रहे हैं।
घटेगी विकास दर
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने बुधवार को फिर कहा कि यह गिरावट स्थायी नहीं है। रुपया खुद ब खुद संभल जाएगा। वहीं, जानकारों का मानना है कि अभी भी रुपये की कीमत में कमजोरी की अवधारणा बनी हुई है। इंडिया फॉरेक्स एडवाइजर्स के सीईओ अभिषेक गोयनका का मानना है कि रुपये में अभी और गिरावट संभव है। रुपये की गिरावट अब आर्थिक विकास की रफ्तार को और धीमा कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय बैंक बीएनपी पारिबास ने अंदेशा जताया है कि ये स्थितियां चालू वित्त वर्ष में विकास दर को 3.7 फीसद तक ला सकती है। बैंक ने पहले 5.7 फीसद की विकास दर का अनुमान लगाया था।
आएगी महंगाई की नई खेप
चालू खाते के घाटे के साथ साथ रुपया अब राजकोषीय घाटे के लिए भी खतरा बन रहा है। इससे सब्सिडी का बोझ बढ़ेगा जो राजकोषीय घाटे पर दबाव बनाएगा। सस्ता रुपया न सिर्फ आयात महंगा करेगा बल्कि घरेलू बाजार में महंगाई भी बढ़ाएगा। पेट्रोल डीजल महंगा होने के साथ साथ घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कीमतों में भी वृद्धि के आसार बन गए है। महंगाई बढ़ने के दुष्परिणामों का सामना अर्थव्यवस्था पहले ही कर चुकी है। महंगाई के चलते रिजर्व बैंक को 13 बार ब्याज दरों में वृद्धि करनी पड़ी थी। ब्याज दरें बढ़ने पर न सिर्फ बाजार में मांग घटेगी बल्कि निवेश घटने से कारखानों के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसका असर वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में दिखेगा।