बुरी खबर: आम आदमी पर चलेगा कमजोर रुपये का 'चाबुक'
डॉलर की तुलना में गिरता रुपया से सरकार और आम आदमी दोनों त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। सुबह से शाम पर दफ्तर में आम करने वाले व्यक्ति हो या घर पर बैठी महिलाएं सभी गिरते रुपये की चपेट में हैं। इस कोई शक नहीं है कि कमजोर रुपया आम आदमी की जेब पर भी चोट मारेगा। डॉलर के मुकाबले रुपया जितना नीचे गिरेगा उतन
नई दिल्ली। डॉलर की तुलना में गिरते रुपये से सरकार और आम आदमी दोनों त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। सुबह से शाम पर दफ्तर में काम करने वाला व्यक्ति हो या घर पर बैठी महिलाएं सभी गिरते रुपये की चपेट में हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि कमजोर रुपया आम आदमी की जेब पर भी चोट मारेगा। डॉलर के मुकाबले रुपया जितना नीचे गिरेगा उतना ही आवश्यक वस्तुओं जैसे खाने-पीने का समान, विदेश में शिक्षा या यात्रा, डीजल की कीमत आदि महंगा हो जाएगा। आइये हम आपको बताते हैं कि खस्ता हाल रुपया आपका बजट कैसे बिगाड़ सकता है।
खाने-पीने से लेकर रोजमर्रा की चीजें हो जाएंगी महंगी : ऊंची महंगाई से त्रस्त आम आदमी को कमजोर रुपया भारी पड़ सकता है। हालांकि, इससे आम आदमी का सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन इससे आपकी रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी हो सकती हैं। कच्चा तेल आयात होता है, रुपया कमजोर होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रभावित होंगी। नतीजा, ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ेगी, दूसरे देशों से आने वाले समान महंगे हो जाएंगे। साबुन, डिटरजेंट, डियोडरेंट और शैंपू सभी में कच्चे तेल का इस्तेमाल होता है। यह भी महंगे हो जाएंगे। घर पर रखा गैस सिलेंडर भी महंगा हो जाएगा। भारत में दालें बड़ी मात्रा में आयात होती है, तो इसके दाम भी बढ़ सकते हैं।
कार से लेकर इलेक्ट्रॉनिक समान खरीदना पड़ेगा भारी : डॉलर के मुकाबले गिरता रुपये ऑटो उद्योग पर कई तरफ से वार करता है। आयातित कॉम्पोनेंट से इनपुट लागत बढ़ती है। विदेशी सहायक कंपनियों को ज्यादा रॉयल्टी देनी पड़ेगी। मुद्दे की बात यह है कि ऑटो कंपनियों के पास कार की कीमत बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा। मारुति ने पिछले दो माह में दो बार दाम बढ़ाए हैं। हुंडई, होंडा और फोर्ड जल्द फैसला ले सकती हैं।
इलेक्ट्रॉनिक चीजों जैसे कंप्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल फोन, एसी, फ्रिज आदि सभी में आयातित कॉम्पोनेंट का प्रयोग होता है, तो इनके दाम भी बढ़ सकते हैं।
विदेश में पढ़ाई हो सकती है सपने के समान : विदेश में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी रुपये में लोन लेते हैं, लेकिन उनका सारा खर्च विदेशी मुद्रा में होता है। इसका सीधा असर विदेश जाकर पढ़ने की इच्छा रखने वाले बच्चों पर पड़ेगा। यानी विदेश में रहना और पढ़ना महंगा हो जाएगा।
नौकरी और वेतन पर खतरा : कुछ लोगों के लिए गिरता रुपया और भी घातक साबित हो सकता है। यह लोगों की नौकरी और वेतन कटौती का कारण भी बन सकता है। जो इंडस्ट्री आयात पर निर्भर हैं वह प्रोडक्शन और ऑपरेशन लागत पर बढ़ते बोझ को महसूस करेंगी। इससे निपटने के लिए कंपनियां लागत को नियंत्रित करेंगी। कंपनी इसके लिए लोगों की छंटनी कर सकती है, नियुक्ति पर पाबंदी लग सकती है या वेतन इजाफे पर रोक लगा सकती है।