Move to Jagran APP

सैर नहीं रुपये ने घुमाया सिर और छिन गया घर का सुकून

रीयल एस्टेट कंपनी में कार्यरत अभिनव इन दिनों अजब उलझन का सामना कर रहे हैं। ऑफिस का काम निपटाकर जब वह घर पहुंचते हैं तो सुकून महसूस करने के बजाय पत्नी और बच्चों का उखड़ा हुआ मूड देखकर उनका तनाव और बढ़ जाता है। ये स्थिति पिछले कुछ दिनों से बनी है। हालांकि, इन हालात के लिए न अभिनव जिम्मेदार हैं और

By Edited By: Published: Sat, 31 Aug 2013 09:31 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सैर नहीं रुपये ने घुमाया सिर और छिन गया घर का सुकून

काजी शकेब, लखनऊ। रीयल एस्टेट कंपनी में कार्यरत अभिनव इन दिनों अजब उलझन का सामना कर रहे हैं। ऑफिस का काम निपटाकर जब वह घर पहुंचते हैं तो सुकून महसूस करने के बजाय पत्नी और बच्चों का उखड़ा हुआ मूड देखकर उनका तनाव और बढ़ जाता है। ये स्थिति पिछले कुछ दिनों से बनी है। हालांकि, इन हालात के लिए न अभिनव जिम्मेदार हैं और न ही उनके घरवाले। फिर क्या वजह है जिसने उनके घर का सुकून छीन लिया।

loksabha election banner

पढ़ें: गहरे संकट में देश की अर्थव्यवस्था

पढ़ें: आम आदमी पर कमजोर रुपये का चाबुक

माजरा कुछ यूं है। अभिनव ने मार्च में अपनी बीवी और बच्चों से वादा किया था कि वे सब सितंबर में यूरोप घूमने जाएंगे। पिछले दिनों जब उन्होंने टूर पैकेज लेने के लिए ट्रैवेल एजेंट को फोन किया तो मालूम हुआ कि महंगे डॉलर की वजह से पैकेज की कीमत पहले के मुकाबले 20 फीसद तक बढ़ चुकी है। बजट के इजाजत न देने पर उन्होंने घरवालों के सामने मलेशिया या सिंगापुर चलने की पेशकश की। लेकिन उनकी बीवी और बच्चे यूरोप घूमने पर ही बजिद हैं।

ट्रैवेल कंपनियों से मिली जानकारी के मुताबिक रुपये के लगातार लुढ़कने की वजह से जहां कुछ लोग अपना पैकेज रद्द करा रहे हैं। वहीं, कुछ उसमें बदलाव कर रहे हैं या फिर उसे आगे के महीनों में शिफ्ट कर रहे हैं। इसके कारण कुछ घरों में 'शीत युद्ध' सा माहौल बन गया है। हालांकि, ट्रैवेल कंपनियों ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए फौरी हल भी तलाश लिया है। पहले जहां वे सात रात/आठ दिन का पैकेज बनाती थीं वहीं अब वे पांच रात/छह दिन के पैकेज की पेशकश कर रही हैं।

इसके अलावा, फाइव स्टार के पैकेज को फोर स्टार में शिफ्ट कर दिया गया है। साथ ही कंपनियां लोगों को यूरोप व अमेरिका के बजाय दक्षिण एशियाई देशों की सैर करने की सलाह दे रही हैं।

एजेंट भी हैं परेशान

एक बड़ी ट्रैवेल कंपनी के अधिकारी के मुताबिक, रुपये के कमजोर होने की वजह से ट्रैवेल एजेंट का मार्जिन घटा है और अनिश्चितता बढ़ी है। भारतीय मुद्रा में जब तक स्थिरता नहीं आती है तब तक ग्राहकों के साथ कंपनियां भी मुश्किल में हैं। ग्राहक हैरान हैं कि फोन पर कुछ और रेट मिलता है और जब पैकेज बुक कराने जाते हैं तो कीमत बढ़ जाती है। एजेंट इसलिए परेशान हैं कि विदेश में भुगतान डॉलर में होता है, जब वह होटल के कमरे या अन्य सुविधाओं के लिए बुकिंग कराते हैं तो उस वक्त बाजार में डॉलर का रेट कुछ होता है लेकिन जब पेमेंट होता है तो रेट बढ़ जाता है। ऐसे में एजेंट को घाटा होता है।

लोअर मिडिल क्लास ने की तौबा

सोसाइटी फॉर ट्रैवेल ऑपरेटर्स (एसएफटीओ) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2011-12 में भारत से 1.3 करोड़ पर्यटक विदेश घूमने गए थे। यह संख्या वर्ष 2012-13 में बढ़कर 1.5 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई। वहीं, पिछले साल के मुकाबले इस बार समर हौलीडे पैकेज की मांग में 25 से 30 फीसद की वृद्धि हुई है। इसमें महानगरों के साथ छोटे शहरों की हिस्सेदारी भी है। ट्रैवेल कंपनियों के मुताबिक कुछ अरसा पहले तक लोअर मिडिल क्लास के लोग भी विदेश घूमने का 'साहस' दिखा रहे थे लेकिन रुपये की 'सेहत' को देखते हुए उन्होंने अभी विदेश जाने से तौबा कर रखी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.