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    ईपीएफ पर न्यूनतम 1,000 रुपये पेंशन!

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    Updated: Tue, 14 Jan 2014 08:44 PM (IST)

    चुनावी साल में सरकार कर्मचारियों और आम लोगों को तोहफा बांटने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती। इसी के तहत अब निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि [ईपीएफ] के तहत मिलने वाले पेंशन की न्यूनतम सीमा 1,000 रुपये मासिक करने की तैयारी हो रही है। अरसे से लंबित श्रम मंत्रालय के इस प्रस्ताव को सरकार इसी महीने मंजूरी दे सकती है। इसका तत्काल फायदा उन 27 लाख पेंशनधारियों को होगा जिन्हें अभी इससे कम पेंशन मिल रहा है।

    नई दिल्ली। चुनावी साल में सरकार कर्मचारियों और आम लोगों को तोहफा बांटने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती। इसी के तहत अब निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि [ईपीएफ] के तहत मिलने वाले पेंशन की न्यूनतम सीमा 1,000 रुपये मासिक करने की तैयारी हो रही है। अरसे से लंबित श्रम मंत्रालय के इस प्रस्ताव को सरकार इसी महीने मंजूरी दे सकती है। इसका तत्काल फायदा उन 27 लाख पेंशनधारियों को होगा जिन्हें अभी इससे कम पेंशन मिल रहा है। इनमें पांच लाख विधवाएं हैं। वैसे, ईपीएफ के पेंशनधारकों की कुल संख्या 44 लाख है।

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    सूत्रों के मुताबिक श्रम मंत्रालय ने पिछले हफ्ते संशोधित प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को सौंपा है। इस पर जल्द ही कैबिनेट की बैठक में फैसला हो सकता है। संशोधित मसौदे में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] द्वारा चलाई जा रही कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 [ईपीएस-95] में न्यूनतम 1,000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है। इससे पहले मंत्रालय ने जो प्रस्ताव दिया था उसमें इस स्कीम के तहत सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी को मूल वेतन के 1.16 फीसद से बढ़ाकर 1.79 फीसद करने की बात कही गई थी। इससे भी न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये मासिक हो जाता। मगर वित्त मंत्रालय खजाने की बिगड़ी हालत के इस दौर में स्थायी तौर पर सब्सिडी बढ़ाने के पक्ष में नहीं था।

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    श्रम मंत्रालय के ताजा प्रस्ताव में वित्त मंत्रालय से इस मद में हर साल 1,300 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुहैया कराने की सिफारिश की गई है। साथ ही कहा गया है कि ईपीएस-95 के तहत कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से धीरे-धीरे यह राशि कम हो सकती है। ईपीएफओ फिलहाल 1.7 लाख करोड़ रुपये के पेंशन फंड सहित कुल पांच लाख करोड़ रुपये के कोष का प्रबंधन कर रहा है। इसके अंशधारकों की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा है। ये सभी ईपीएस-95 के तहत कवर हैं।