वैश्विक स्तर पर चावल के घटे दाम, भारत को फायदा होगा या नुकसान?
चावल निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने का कदम भारत नई फसल की आवक और सरकारी गोदामों में अधिक स्टॉक के चलते उठाया है। इससे पहले सरकार ने उसना चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। पिछले साल भारत द्वारा सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से उसना चावल की कीमतें 15 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने पिछले दिनों गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी थी। इसका असर वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतों में दिखा है। सोमवार को वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। माना जा रहा है कि भारत के इस कदम से वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि होगी और एशिया और अफ्रीका के गरीब देशों को अधिक किफायती दामों पर आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।
चावल निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने का कदम भारत नई फसल की आवक और सरकारी गोदामों में अधिक स्टॉक के चलते उठाया है। इससे पहले सरकार ने उसना चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। पिछले साल भारत द्वारा सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से उसना चावल की कीमतें 15 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं। 2022 में दुनिया के चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक थी।
प्रमुख चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान के चावल विक्रेता अपने निर्यात मूल्यों में कमी करके भारत के कदम से कदम मिला रहे हैं। हर कोई बाजार में अपनी जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धी बने रहने की कोशिश कर रहा है। सोमवार को भारत के पांच प्रतिशत टूटे हुए उसना चावल का भाव 500-510 डालर प्रति मीट्रिक टन था, जबकि पिछले सप्ताह कीमत 530-536 डालर थी।
डीलरों ने बताया कि वियतनाम, पाकिस्तान, थाइलैंड और म्यांमार के निर्यातकों ने भी सोमवार को कीमतों में कम से कम 10 डालर प्रति टन की कमी की। थाई चावल निर्यातक संघ के मानक अध्यक्ष चुकियात ओपसवोंग ने कहा कि बाजार में आपूर्ति बढ़ने से थाईलैंड के चावल निर्यात की कीमतों में कमी आ सकती है, लेकिन कमी कितनी आएगी, यह कई कारकों पर निर्भर करेगी। वियतनाम में चावल की कीमतों में कमी दर्ज की गई है।