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    क्या होता है Repo Rate? अगले महीने कितनी हो सकती है कटौती; आपके EMI पर पड़ता है सीधा असर

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 04:35 PM (IST)

    हर दो महीने में आरबीआई मौद्रिक समिति (RBI MPC Meeting) की बैठक आयोजित करता है। इस बैठक के दौरान रेपो रेट (Repo Rate Cut) से लेकर कई वित्तीय संबंधित फैसले लिए जाते हैं। रेपो रेट का बड़ा असर आपके ईएमआई पर पड़ता है। आइए जानते हैं कि रेपो रेट क्या है और इसका आपकी जेब पर कैसे असर पड़ता है। 

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    नई दिल्ली। हर दो महीने में आरबीआई की मौद्रिक समिति (RBI MPC Meeting) की बैठक आयोजित होती है। इस बैठक में रेपो रेट (Repo Rate Cut) भी रिव्यू किया जाता है। रिव्यू के बाद ये तय होता है कि रेपो रेट में बदलाव करना है या नहीं। अगले महीने यानी दिसंबर में आरबीआई की बैठक होने वाली है। 

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    इसमें कई वित्तीय संबंधित फैसले लिए जाएंगे। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक रेपो रेट को लेकर भी अहम फैसला ले सकती है। Morgan Stanley के अनुसार आरबीआई आने वाले बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकती है।

    रेपो रेट में बदलाव का असर हमारी जेब पर कैसे पड़ेगा, आइए इसे समझते हैं। 

    क्या होता है Repo Rate?

    देश की केंद्रीय बैंक, एक साल में हर दो महीने बाद मौद्रिक समिति की बैठक आयोजित करती है। इस बैठक के दौरान रेपो रेट और अन्य वित्तीय संबंधित निर्णय लिए जाते हैं। रेपो रेट वो दर है, जिसके आधार पर वाणिज्यिक बैंक लोन लेता है। हालांकि रेपो रेट के आधार पर बैंक आरबीआई से शॉर्ट टर्म लोन लेता है।

     अब ये समझते हैं कि ये आप कैसे असर करेगा।

    Repo Rate Cut क्या करेगा असर?

    • अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो बैंकों को लोन कम ब्याज पर मिलेगा। फिर आपको भी कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराया जाएगा।
    • ऐसी ही अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी आती है, तो बैंक को लोन लेना महंगा पड़ेगा। इससे आपका भी लोन ब्याज दर बढ़ेगा। ब्याज दर बढ़ने से आपकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी।

    हालांकि ये बैंकों पर भी निर्भर करता है कि रेपो रेट में कटौती के बाद वे फिक्स्ड ब्याज दर कम करना चाहती है या नहीं।

     RBI रेपो रेट में क्यों बदलाव करती है?

    देश की केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई रेपो रेट में बदलाव कर मनी सप्लाई को नियंत्रित करने की कोशिश करती है। मनी सप्लाई में नियंत्रित कर, वे महंगाई को कम या ज्यादा करने का काम करती है। ऐसी ही ठीक सरकार भी अपने राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) के जरिए नियंत्रित करने का काम करती है।


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