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    इंडेक्सेशन हटाना उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद, CBDT चेयरमैन रवि अग्रवाल से खास बातचीत

    दैनिक जागरण ने सीबीडीटी चेयरमैन रवि अग्रवाल से खास बातचीत की है। प्रॉपर्टी इंडेक्सेशन नियम को हटाने को लेकर इन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स का सरलीकरण है। ऐसा नहीं है कि इससे ज्यादा राजस्व आएगा। लेकिन प्रॉपर्टी टैक्स का नया रिजिम अधिक फायदेमंद है। दस साल में अगर ढाई गुना प्रॉपर्टी का रेट बढ़ा है तो बिना इंडेक्सेशन के 12.5 प्रतिशत टैक्स का नया रिजिम फायदेमंद होगा।

    By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 26 Jul 2024 10:15 PM (IST)
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    दैनिक जागरण ने सीबीडीटी चेयरमैन रवि अग्रवाल से खास बातचीत की है।

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। बजट (Budget 2024) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडेक्सेशन लाभ हटाने का एलान किया है। इससे लेकर कई लोगों में कंफ्यूजन भी है कि प्रॉपर्टी की बिक्री पर उन्‍हें कहीं नुकसान न उठाना पड़ जाए। हालांकि सरकार ने इंडेक्सेशन लाभ हटाने के साथ ही प्रॉपर्टी की बिक्री पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्‍स की दर को भी 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है।

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    सरकार का कहना है कि इंडेक्सेशन हटाने से टैक्‍स पेयर और आयरक विभाग के लिए कैपिटल गेन की गणना आसान हो जाएगी। इन्हीं सब विषयों पर दैनिक जागरण ने सीबीडीटी चेयरमैन रवि अग्रवाल से खास बातचीत की।

    प्रॉपर्टी इंडेक्सेशन नियम को हटाने का क्या उद्देश्य है?

    मुख्य उद्देश्य टैक्स का सरलीकरण है। ऐसा नहीं है कि इससे ज्यादा राजस्व आएगा। लेकिन प्रॉपर्टी टैक्स का नया रिजिम अधिक फायदेमंद है। दस साल में अगर ढाई गुना प्रॉपर्टी का रेट बढ़ा है तो बिना इंडेक्सेशन के 12.5 प्रतिशत टैक्स का नया रिजिम फायदेमंद होगा। नए रिजिम में कोई झंझट नहीं है। क्रय व विक्रय मूल्य के अंतर पर 12.5 प्रतिशत का टैक्स देकर उस पूरे पैसे को कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

    बेनामी संपत्ति पर रोक के लिए बजट में क्या प्रविधान लाया गया है?

    जो बेनामीदार है वह छोटा आदमी भी हो सकता है जिसके नाम पर प्रॉपर्टी खरीद ली जाती है। अभी तक इस मामले में बेनामीदार को भी सजा और जुर्माने का प्रविधान था। नई घोषणा के बाद अगर बेनामीदार खुले मन से आता है और वस्तुस्थिति का खुलासा कर देता है तो उसकी सजा भी माफ हो जाएगी और उसे जुर्माना भी नहीं लगेगा। बेनामी संपत्ति की अभी जो जांच चल रही है, उसमें इस बदलाव से लाभ की संभावना है, बेनामीदार खुद आकर सही-सही जानकारी दे सकते हैं और इससे बेनामी संपत्ति का खुलासा होगा।

    डायरेक्ट टैक्स कोड की समीक्षा और सरलीकरण की प्रक्रिया शुरू हो रही है, क्या होगा उसमें?

    ऐसा नहीं है कि कोई नया कोड आ जाएगा। हम इसे और सरल बनाएंगे। सरलीकरण की अभी गुंजाइश है। कितने टैक्सपेयर इनकम टैक्स एक्ट को पढ़ते हैं, यदि हम इसे सरल कर देंगे तो आम टैक्सपेयर इसे पढ़ने में नहीं हिचकिचाएगा। कई पुरानी चीजें जिसे हटा दी गई हैं, वह भी कोड में है, यह सब रिपीट हो रही है। उद्देश्य यही है कि आम टैक्सपेयर बिना किसी की मदद के टैक्स कानून को पढ़ ले, समझ ले।

    टैक्स से जुड़े विवाद के निपटान के लिए बजट में विवाद से विश्वास स्कीम 2024 की घोषणा की गई थी, इसके तहत लोग कब से आवेदन कर सकेंगे?

    इस साल अगस्त तक इस स्कीम का नोटिफिकेशन आना चाहिए। 31 दिसंबर तक इसके तहत आवेदन करने की समय सीमा होगी। कितनी भी राशि से जुड़े टैक्स विवाद को खत्म करने के लिए इस स्कीम में आवेदन किया जा सकता है, सिर्फ उस मामले मे सर्च का केस नहीं होना चाहिए। पिछली बार विवाद से विश्वास स्कीम के तहत एक लाख से अधिक मामले आए थे और 75,000 करोड़ के विवाद का समाधान किया गया था।

    इस साल रिटर्न फाइलिंग कैसी चल रही है, पिछले साल की तुलना में अधिक लोग फाइल करेंगे?

    पिछले वित्त वर्ष में 8.5 करोड़ रिटर्न फाइल हुए थे। इस बार 26 जुलाई तक 4.7 करोड़ लोगों ने आईटीआर फाइल किया। पिछले साल 31 जुलाई तक 6.77 करोड़ रिटर्न फाइल किए गए थे, हम उस संख्या को इस साल 31 जुलाई को पार कर जाएंगे। एक बात और कि काफी अधिक संख्या में ऐसे लोग हैं कि जिनका टीडीएस कटता है और वे आईटीआर फाइल नहीं करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी है। देखा जाए तो 12-12.5 करोड़ लोग इनकम टैक्स के रिकॉर्ड बुक में हैं।

    चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह का क्या लक्ष्य है?

    22 लाख करोड़ का लक्ष्य है। पिछले वित्त वर्ष से 12.5 प्रतिशत अधिक। पिछले वित्त वर्ष में 19.58 लाख करोड़ संग्रह किए गए।

    बजट में टीडीएस में मुख्य रूप से क्या बदलाव किया गया है?

    रेट कम कर दिया है। पहले 50 लाख से ऊपर की खरीद-फरोख्त पर एक प्रतिशत का टीडीएस कटता था उसे घटाकर .1 प्रतिशत कर दिया है। एक प्रतिशत टीडीएस कटने से उतना पैसा रिटर्न फाइल करने तक ब्लॉक हो जाता था, इससे वर्किंग कैपिटल (कार्यशील पूंजी) की कमी हो जाती थी। इसी तरह से कई रेट पांच प्रतिशत था जिसे दो प्रतिशत कर दिया।