अप्रैल के पहले दिन आई अच्छी खबर, GST से भरा सरकार का खजाना; जानिए कितना रहा कलेक्शन
आज नए वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत हो गई है। इस बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। मार्च के महीने में जीएसटी के कलेक्शन में काफी इजाफा देखने को मिला है। जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में 1.94 लाख करोड़ रुपए का बंपर जीएसटी संग्रह रहा। ये वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी प्रणाली की शुरुआत के बाद से दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गत वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी महीने मार्च में 1.94 लाख करोड़ रुपए का बंपर जीएसटी संग्रह रहा जो वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी प्रणाली की शुरुआत के बाद से दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है। पिछले साल मार्च की तुलना में यह संग्रह 10 प्रतिशत अधिक है।
पिछले साल अप्रैल में अब तक का सबसे अधिक 2.10 लाख करोड़ रुपए का संग्रह किया गया था। मार्च में जीएसटी के बंपर संग्रह से यह जाहिर होता है कि गत वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खपत में कमी नहीं बल्कि बढ़ोतरी रही। जीएसटी का संग्रह सीधे तौर पर वस्तुओं की बिक्री से जुड़ा होता है।
अप्रैल-मार्च में 22.08 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह
दूसरी तरफ गत वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-मार्च में 22.08 लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह रहा जो पूर्व के वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले 9.4 प्रतिशत अधिक है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल मार्च के जीएसटी संग्रह में एसजीएसटी की हिस्सेदारी 38,145 करोड़, एसजीएसटी की 49,891 करोड़ तो आईजीएसटी की हिस्सेदारी 95,853 करोड़ रही। सेस के मद में 12,253 करोड़ रुपए वसूले गए।
सरकार को मिला 1.76 लाख करोड़ रुपए का राजस्व
मार्च में जीएसटी रिफंड के बाद सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ। सरकारी आंकड़ों में मार्च में मैन्यूफैक्चरिंग राज्य व उपभोक्ता राज्यों के जीएसटी संग्रह की बढ़ोतरी दरों में काफी अंतर देखने को मिला।
इन राज्यों में जीएसटी संग्रह बढ़ा
गत मार्च में महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जैसे राज्यों में जीएसटी संग्रह की बढ़ोतरी दर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक रही जबकि गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु जैसे राज्यों में जीएसटी की बढ़ोतरी दर एक से सात प्रतिशत के बीच रही।
जीएसटी विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी समीक्षा की जरूरत है। जानकारों का कहना है कि गत वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह में लगभग 10 प्रतिशत का इजाफा अर्थव्यवस्था में मजबूती को दर्शाता है।
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