गिरते रुपये को संभालने में जुटा RBI, जानें क्या-क्या उपाय कर रहा है केंद्रीय बैंक
Falling Rupee Currency Market में भारतीय रिजर्व बैंक की गतिविधियों पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि केंद्रीय बैंक नहीं मानता कि अभी भारतीय रुपये की गिरावट के पीछे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियां जिम्मेदार हैं।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में एक दिन में 54 पैसे की गिरावट के बाद आरबीआइ मुद्रा बाजार में सक्रिय हो गया है। इसका नतीजा यह है कि कि पिछले दो दिनों मे रुपया मजबूत हुआ है। बुधवार को रुपया 10 पैसे मजबूत हो कर 77.24 के स्तर पर बंद हुआ, पिछले दो दिनों में रुपया 20 पैसा मजबूत हुआ है और इसके पीछे केंद्रीय बैंक की तरफ से डॉलर की खरीद-बिक्री में गतिशील होना प्रमुख कारण है। इसके बावजूद जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक आरबीआइ रुपये की कोई कीमत निर्धारित करने के पक्ष में नहीं है।
केंद्रीय बैंक की मंशा यह है कि रुपये में भारी अस्थिरता ना हो और दुनिया की दूसरी मुद्राओं के मुकाबले भारतीय रुपया बहुत ज्यादा कमजोर ना हो। सोमवार को रुपया एक दिन में 54 पैसे की गिरावट के साथ 77.44 के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था। इसको लेकर ना सिर्फ आर्थिक विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता जताई थी बल्कि विपक्षी दलों ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया था। कई अर्थविदों ने कहा है कि भारतीय शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) की तरफ से निवेश खींचने की वजह से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है।
दूसरी तरफ, मुद्रा बाजार में आरबीआइ की गतिविधियों पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि केंद्रीय बैंक नहीं मानता कि अभी भारतीय रुपये की गिरावट के पीछे एफआइआइ की गतिविधियां जिम्मेदार है बल्कि इसके लिए मुख्य तौर पर वैश्विक गतिविधियों को जिम्मेदार मान रहा है। केंद्रीय बैंक यह भी मानता है कि डॉलर जिस हिसाब से मजबूत हो रहा है उसे देखते हुए आने वाले दिनों में भी विकासशील देशों की मुद्राओं में और गिरावट की संभावना बरकरार है। साथ ही केंद्रीय बैंक को यह भरोसा है कि उसके पास 600 अरब डॉलर का भारी भंडार है जिसके बलबूते रुपये को भारी अस्थिरता से बचाने में मदद मिलेगी।
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