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    बेफिक्र होकर चुकाएं समय से पहले लोन, RBI ने दी प्री-पेमेंट चार्ज से राहत; जानें कब से होगा लागू

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 01:31 PM (IST)

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने छोटे कारोबारियों और एमएसएमई को राहत देते हुए फ्लोटिंग रेट लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। 1 जनवरी 2026 के बाद मंजूर लोन पर अब प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगेगा। यह नियम कॉमर्शियल बैंक कोऑपरेटिव बैंक एनबीएफसी और ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स पर लागू होगा।

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    फ्लोटिंग रेट लोन पर समय से पहले चुकाने पर किसी तरह का प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लिया जाएगा।

     मान लीजिए आपने कोई बिजनेस लोन लिया है। कुछ सालों में बिजनेस अच्छा होने से आपकी कमाई इतनी होने लगती है कि आप तय समय से पहले ही पूरा कर्ज चुका देना चाहते हैं। लेकिन जैसे ही आप बैंक को बताते हैं, वो आपसे प्री-पेमेंट चार्ज के नाम पर एक मोटी रकम वसूल लेता है। यही स्थिति देश के लाखों छोटे कारोबारियों और एमएसएमई के साथ होती आई है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा...

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    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस पर लगाम कसते हुए एक क्रांतिकारी फैसला लिया है। अब 1 जनवरी 2026 से मंजूर किए गए फ्लोटिंग रेट लोन पर समय से पहले चुकाने पर किसी तरह का प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लिया जाएगा। 

    यह कदम छोटे व्यापारियों एमएसएमई (सूक्ष्म और लघु उद्यम) को वित्तीय स्वतंत्रता देने और फेयर क्रेडिट सिस्टम की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। यह नियम सभी कॉमर्शियल बैंक (पेमेंट बैंकों को छोड़कर), कोऑपरेटिव बैंक, एनबीएफसी और ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स पर लागू होंगे।

    आरबीआई ने क्यों उठाया यह कदम

    आरबीआई ने कहा कि उसकी सुपरवाइजरी रिव्यू में यह पाया गया कि लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज वसूलने को लेकर अलग-अलग संस्थाएं अलग तरीके अपना रही थीं, जिससे ग्राहकों में भ्रम और विवाद की स्थिति बन रही थी। कई बार कंपनियां ऐसी शर्तें भी जोड़ देती थीं जिससे ग्राहक किसी अन्य संस्था से बेहतर ब्याज दर या सेवा पाने के लिए शिफ्ट न कर सकें। आरबीआई ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए यह निर्देश जारी किए हैं।

    आरबीआई के इस फैसले पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

    SBFC फाइनेंस के रणनीति प्रमुख संकेश अग्रवाल ने कहा कि, “यह आरबीआई का ग्राहकों की सुरक्षा की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि यह नियम सिर्फ फ्लोटिंग रेट लोन पर लागू होगा और वह भी सिर्फ 1 जनवरी 2026 के बाद मंजूर किए गए लोन पर, इसलिए मौजूदा लोन बुक पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। लंबी अवधि के लोन आमतौर पर पहले कुछ सालों में बंद नहीं किए जाते, इसलिए फाइनेंस कंपनियों की प्री-पेमेंट फीस से होने वाली आय पर असर कुछ समय बाद ही दिखेगा।”

    इस स्थिति में ले सकते हैं प्री-पेमेंट चार्ज

    आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी प्री-पेमेंट चार्ज तभी लिया जा सकता है जब वह पहले से लोन समझौते में साफ-साफ उल्लेखित हो। साथ ही, यदि लोन रीपेमेंट खुद बैंक की पहल पर किया जा रहा हो तो उस स्थिति में भी कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह कदम ग्राहकों को ज्यादा पारदर्शिता और बेहतर सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में देखा जा रहा है।

    प्री-पेमेंट चार्ज से राहत का इन्हें मिलेगा फायदा

    नए नियमों का सीधा लाभ एमएसएमई और छोटे कारोबारियों को मिलेगा, जो अब बिना किसी पेनल्टी के बेहतर ब्याज दरों या सेवाओं के लिए लोन स्विच कर सकेंगे। इससे न केवल उनकी वित्तीय आज़ादी बढ़ेगी, बल्कि प्रतिस्पर्धा के चलते बाजार में कर्ज सस्ता होने की भी संभावना है।