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    RBI ने कहा, महंगाई थामने के लिए सख्त कदम उठाएंगे; ग्रोथ रेट के मामले में अन्‍य देशों की तुलना में भारत की स्थिति मजबूत

    By Manish MishraEdited By:
    Updated: Sat, 28 May 2022 08:35 AM (IST)

    RBI ने नीति निर्धारकों को यह भी चेतावनी दे दी है कि उन्हें ढांचागत सुधार की गति को आगे भी तेज रफ्तार में रखना होगी। आपूर्ति की राह की अड़चनों को दूर करने के लिए हमेशा मुस्तैद रहना होगा

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    RBI said, strict measures will continue to contain inflation; India's position stronger than other countries in terms of growth rate

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पहले कोरोना महामारी और उसके बाद यूक्रेन-रूस युद्ध ने जिस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के सारे समीकरणों को बिगाड़ा है, उसकी वजह से निकट भविष्य में भारत की विकास दर भी प्रभावित होगी। लेकिन अभी भी भारत दूसरे देशों की तुलना में इन चुनौतियों को ज्यादा बेहतर तरीके से मुकाबला करने की स्थिति में है।

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    शुक्रवार को आरबीआइ की तरफ से जारी सालाना रिपोर्ट का लब्बोलुआब यही है। केंद्रीय बैंक ने नीति निर्धारकों को यह भी चेतावनी दे दी है कि उन्हें ढांचागत सुधार की गति को आगे भी तेज रफ्तार में रखना होगी। आपूर्ति की राह की अड़चनों को दूर करने के लिए हमेशा मुस्तैद रहना होगा और कोरोना से प्रभावित श्रमिकों को प्रशिक्षण देना होगा। इन उपायों से ही देश की विकास दर आगे भी तेज बनी रह सकेगी।

    आरबीआइ के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती महंगाई है। इस रिपोर्ट में भी महंगाई को लेकर चिंताएं साफतौर पर दिख रही हैं। खासतौर पर जिस तरह से थोक महंगाई की दर अभी काफी उच्च स्तर (अप्रैल, 2022 में 15.8) पर बनी हुई है, उससे कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत बढ़ेगी, ढुलाई का खर्चा बढ़ेगा और इसका असर आम जनता पर भी होगा। महंगाई की मौजूदा स्थिति के लिए काफी हद तक यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से सप्लाई चेन व्यवस्था के बिगड़ने को जिम्मेदार माना गया है। केंद्रीय बैंक ने संकेत दिया है कि वह महंगाई दर को थामने के लिए आगे भी मौद्रिक नीति के तहत कदम (ब्याज दरों को बढ़ाना) उठाता रहेगा। मई, 2022 में आरबीआइ ने खुदरा ब्याज दरों को प्रभावित करने वाले रेपो रेट में 0.40} की वृद्धि की है। अगली मौद्रिक नीति 7 जून, 2022 को होने वाली है।

    एनबीएफसी के लिए नए नियम जारी होंगे

    केंद्रीय बैंक ने रिपोर्ट में भविष्य के कुछ और संकेत भी दिए हैं। इसमें एक संकेत यह है कि वह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कई नए नियमों का ऐलान करने वाला है। डिजिटल भुगतान की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए केंद्रीय बैंक इस बारे में आम जनता को ज्यादा जागरूक बनाने पर जोर देगा।

    बैंकों से ज्यादा ऋण वितरण पर जोर देने को कहा

    बैंकों को कहा गया है कि वो आर्थिक विकास के लिए जरूरी ऋण वितरण पर ज्यादा ध्यान दें। साथ ही कर्ज वापसी को लेकर भी सतर्क रहें।