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    एसबीआई का अनुमान, ब्याज दर में 35 से 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकता है आरबीआई

    स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति में हो रही बढ़ोतरी के कारण आरबीआई प्रमुख दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। दरें बढ़ने से बाजार में लिक्विडिटी कम हो जाती है और महंगाई काबू में आने लगती है।

    By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 12:39 PM (IST)
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    RBI may hike Interest rate in next MPC by 35-50 basis points range says SBI Study

    नई दिल्ली, एजेंसी। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में 35-50 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकता है। एसबीआई ने अपनी एक रिसर्च में अनुमान लगाया है कि सितंबर में मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक में आरबीआई दरें बढ़ा सकता है।

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    तय कार्यक्रम के अनुसार, आरबीआई की अगली तीन दिवसीय मौद्रिक नीति बैठक 28-30 सितंबर के बीच होगी। महंगाई से निपटने के लिए आरबीआई पिछली दो बार की तरह इस बार भी बढ़ोतरी जरूर करेगा। बता दें कि दरें बढ़ाने की यह प्रवृत्ति आजकल दुनिया के सभी केंद्रीय बैंकों द्वारा देखी जा रही हैं। मौद्रिक नीति में सख्ती के वैश्विक ट्रेंड को देखते हुए आरबीआई ने अब तक प्रमुख रेपो दर में तीन बार वृद्धि की है।

    आपको बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है।

    तीन बार दरें बढ़ा चुका है आरबीआई

    आरबीआई ने तीन बार की बढ़ोतरी के बाद रेपो दर में 140 आधार अंक यानी 5.40 प्रतिशत कर दिया गया है। एसबीआई के इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर के बाद बैंक न्यूनतम और टोकन दर में वृद्धि करने की योजना बना रहा है, क्योंकि मुद्रास्फीति दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में गिर सकती है।

    अगस्त में बढ़कर 7 प्रतिशत हुई मुद्रास्फीति

    सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य कीमतों में तेज वृद्धि के कारण भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 6.71 प्रतिशत थी। यानी मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक के टोलरेंस बैंड से अधिक बनी हुई है।

    आरबीआई की यह जिम्मेदारी है कि वह मुद्रास्फीति को 2-6 प्रतिशत के दायरे में रखने की कोशिश करे। यदि औसत मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों तक 2-6 प्रतिशत के दायरे से बाहर रहती है तो इसे आरबीआई की विफलता माना जाता है।

    एसबीआई के रिसर्च में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में लगातार गिरावट के बावजूद भारत में अनाज की कीमतों में तेजी आई है। बारिश और फसलों के रकबे में हुए बदलावों ने कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रभावित किया है। रिसर्च में सीपीआई बास्केट में शामिल 299 वस्तुओं में से 171 को आपूर्ति संचालित, 99 को मांग-संचालित और 29 को न्यूट्रल माना गया है।