डिजिटल भुगतान की तेजी के लिए साइबर सुरक्षा और ग्राहक संरक्षण जरूरी, RBI ने अध्ययन पत्र किया जारी
आरबीआई ने केंद्रीय बैंक ने भारत में नकद बनाम डिजिटल भुगतान लेनदेन पर जारी एक अध्ययन पत्र में कहा कि अपने पास रखने के लिए नकदी की अहमियत बने रहने के बावजूद नकद लेनदेन में गिरावट आ रही है और भुगतान के डिजिटल तरीकों का उपयोग तेजी से हो रहा है। वैश्विक रुझानों के अनुरूप भारत में भी महामारी के कारण मुद्रा की मांग अस्थायी रूप से बढ़ी थी।
पीटीआई, मुंबई। आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि कोरोना महामारी के कारण डिजिटल भुगतान को मिली रफ्तार को कायम रखने के लिए साइबर सुरक्षा, ग्राहक संरक्षण और किफायती लागत पर ध्यान देना जरूरी है।
आरबीआई ने अध्ययन पत्र किया जारी
केंद्रीय बैंक ने 'भारत में नकद बनाम डिजिटल भुगतान लेनदेन' पर जारी एक अध्ययन पत्र में कहा कि अपने पास रखने के लिए नकदी की अहमियत बने रहने के बावजूद नकद लेनदेन में गिरावट आ रही है और भुगतान के डिजिटल तरीकों का उपयोग तेजी से हो रहा है। वैश्विक रुझानों के अनुरूप भारत में भी महामारी के कारण मुद्रा की मांग अस्थायी रूप से बढ़ी थी। इसके पीछे मुख्य वजह एहतियाती तौर पर कुछ नकदी अपने पास रखने की जरूरत थी।
अध्ययन पत्र के मुताबिक, महामारी के समय डिजिटल भुगतान को मिली रफ्तार को बनाए रखने के लिए भुगतान के किफायती तरीकों और मांग (उपभोक्ता) एवं आपूर्ति पक्ष (व्यापारियों और मध्यस्थों) से प्रासंगिक स्वीकृति का बुनियादी ढांचा तय करने वाले प्रयासों की जरूरत है। इसके अलावा स्मार्टफोन और इंटरनेट संपर्क जैसे समर्थनकारी घटकों तक सबकी पहुंच को सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
किन लोगों ने तैयार किया है अध्ययन पत्र
आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (डीईपीआर) से जुड़े साक्षी अवस्थी, रेखा मिश्रा और शरत ढल ने यह अध्ययन पत्र तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि वित्तीय समावेश और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के साथ ही साइबर सुरक्षा एवं ग्राहक संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा।
आर्थिक वृद्धि पर पड़ता है डिजिटलीकरण का असर
अध्ययन पत्र के मुताबिक, डिजिटल भुगतान को लेकर रुझान बढ़ने के बावजूद नकदी में लेनदेन और बचत करने के लिए लोगों की मजबूत प्रवृत्ति के कारण नकदी की अहमियत बनी हुई है। इसके अलावा नकदी सभी तरह के भुगतानों के लिए वास्तविक आधार के रूप में कार्य करती है। इसमें कहा गया है, 'डिजिटलीकरण की सफलता सिर्फ नकदी की जगह लेने से अधिक है, इसका आर्थिक वृद्धि, वित्तीय बाजारों के विकास, परिवारों की वित्तीय सेहत और प्रभावी प्रशासन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।'
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